Chandrayaan-3 कहां तक पहुंचा, चंद्रमा पर कब करेगा लैंडिंग, पढ़ें ISRO का ताजा अपडेट

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 15, 2023, 09:18 PM IST

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Chandrayaan-3: ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 ने शनिवार को पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली इसरो के वैज्ञानिक फिलहाल इसके डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने शुक्रवार को चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च किया. Chandrayaan-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा. ISRO के वैज्ञानकि इस मिशन से चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की तैयारी में हैं. यह इस मिशन का तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण काम है. इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 ने शनिवार को पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. वह अब 42 हजार किमी की दूरी पर पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहा है. इसरो के वैज्ञानिक फिलहाल इसके डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा और चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के लिए इसमें लगे 'थ्रस्टर्स' की मदद से इसे पृथ्वी से दूर ले जाया जाएगा. नायर ने शनिवार को तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रक्षेपण यान ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और अंतरिक्ष यान के लिए आवश्यक प्रारंभिक स्थितियां बहुत सटीकता से प्रदान की गई हैं. इसरो ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया था.

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23 अगस्त को होगी लैंडिंग
नायर ने कहा, 'आज से इसमें (यान) लगे थ्रस्टर्स को ‘फायर’ किया जाएगा और 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर ‘लैंडिंग’ के लिए चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर ले जाया जाएगा. यान सिस्टम ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है.  इसके कारण, अंतरिक्ष यान को जो भी आवश्यक शुरुआती स्थितियां चाहिए थीं, हमने उन्हें बहुत सटीकता से प्रदान किया है. नायर ने कहा कि चूंकि प्रयोग का पहला चरण 100 प्रतिशत सफल रहा है और अंतरिक्ष यान भी बहुत अच्छी स्थिति में है और यह अपनी प्रणोदन प्रणाली और उपकरणों का उपयोग करके चंद्रमा पर जाने में सक्षम होगा.

उन्होंने बताया कि लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 को 179 किमी की पेरीजी और 36,500 किलोमीटर की एपोजी वाली अंडकार कक्षा में डाला गया था. यानी कम दूरी पेरीजी और लंबी दूरी एपोजी. पहले ऑर्बिट मैन्यूवर में एपोजी को बढ़ाया गया है. यानी 36,500 किमी से 42,000 किलोमीटर किया गया.

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चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग रही थी विफल
चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ् इसरो ने कहा है कि उसने 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 5:47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सॉफ्ट-लैंडिंग करने की योजना बनाई है. चंद्रयान-2 तब सॉफ्ट लैंडिंग में विफल हो गया था, जब इसका लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करते समय ब्रेकिंग प्रणाली में गड़बड़ी के कारण चंद्रमा की सतह पर गिर गया था. ISRO के चीफ एस सोमनाथ ने पड़ोस के संगारेड्डी जिले में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), हैदराबाद के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में मुझे रॉकेट से प्यार है. मैं रॉकेट को अपने बच्चों की तरह देखता हूं. मैं उसके सृजन, उसके विकास, उसके विकास में आने वाली समस्याओं और उसकी भावनाओं को देखता हूं तथा इसकी यांत्रिकी एवं गतिविधि एवं इसके जीवन की गहरी समझ विकसित करता हूं.’ 

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