Chandrayaan-3: लैंडर विक्रम ने कर ली पहली बड़ी खोज, जानें चांद के बारे में क्या खास बात पता चली 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 27, 2023, 05:54 PM IST

Lander Vikram 

Lander Vikram 1ST Observation: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब पूरी दुनिया चांद के दक्षिणी ध्रुव के बारे में नई बातें जानने को उत्सुक हैं. लैंडर विक्रम ने पहली चीज़ चांद के इस सतह के तापमान के बारे में बताई है. जानें शुरुआती डेटा में क्या तथ्य आए हैं सामने. 

डीएनए हिंदी: इसरो (ISRO) ने चांद की सतह पर गहराई में जाने पर तापमान में आने वाले बदलाव का अंदाज लगाया है. लैंडर विक्रम से इस बारे में चांद के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य का पता चला है. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE पेलोड का शुरुआती डेटा आ गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने इसके बारे में अपडेट X (पहले ट्विटर) पर शेयर भी किया है. विक्रम लैंडर पर ChaSTE (चंद्रमा का सतही थर्मोफिजिकल प्रयोग) लगा है. यह ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान को मापने का काम करता है. इसरो की ओर से कहा गया है कि यह सिर्फ शुरुआती डेटा है और अभी अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं. भविष्य में कुछ और तथ्य भी सामने आएंगे. 

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इसरो ने शेयर किया चांद के सतह के तापमान का ग्राफ 
चंद्रयान-3 मिशन इसरो का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी  मिशन है. इस मिशन के जरिए चांद के दक्षिणी ध्रुव के बारे में बहुत से गूढ़ रहस्यों का पता लग सकता है. ChaSTE में एक टेम्‍प्रेचर प्रोब लगाया गया है. यह प्रोब कंट्रोल्‍ड एंट्री सिस्‍टम की मदद से सतह में 10 सेमी की गहराई तक पहुंच सकता है. इसमें 10 अलग-अलग तापमान सेंसर लगे हैं. चांद की सतह पर अलग-अलग गहराइयों पर दर्ज किए गए चांद की सतह/निकट-सतह के तापमान में अंतर को इसरो ने एक ग्राफ के जरिए शेयर किया है. 

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हालांकि इसरो का कहना है कि यह शुरुआती डेटा हैं जिसके आधार पर व्यापक निष्कर्ष नहीं निकाले जा सकते हैं. आने वाले दिनों में हमें और डेटा मिलने की उम्मीद है जिसका बारीकी से विश्लेषण किया जाएगा. मौजूदा डेटा के मुताबिक कुछ प्रमुख तथ्य सामने आए हैं: 

- ISRO ने जो ग्राफ शेयर किया है उसके मुताबिक चंद्रमा की सतह का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक है. 
- जैसे-जैसे सतह की गहराई में उतरते जाते हैं वैस-वैसे तापमान तेजी से गिरता नजर आ रहा है. 80 मिलीमीटर भीतर जाने पर तापमान -10 डिग्री तक गिर जाता है. इससे प्राथमिक तौर पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि चंद्रमा की सतह पर तापमान को बनाए रखने (वैज्ञानिक भाषा में जिसे हीट रिटेन क्षमता) की क्षमता कहते हैं वह नहीं है.

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