Chandrayaan-3: चांद्रमा के और करीब पहुंचा चंद्रयान-3, चौथे ऑर्बिट में की एंट्री, जानें कब होगी लैंडिंग

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 14, 2023, 02:19 PM IST

Chandrayaan-3

Chandrayaan-3 Fourth Moon Orbit Maneuver: इसरो ने बताया कि 16 अगस्त की सुबह करीब साढ़े आठ बजे चंद्रयान को चांद की पांचवी ऑर्बिट में बदल दिया जाएगा.

डीएनए हिंदी: भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) सोमवार को कक्षा में नीचे लाए जाने की एक और सफल प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही चंद्रमा की सतह के नजदीक पहुंच गया. चंद्रयान अब लगभग 150 x 177 किमी वाली गोलाकार कक्षा में घूम रहा है.  बेंगलुरु में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की निकटवर्ती कक्षा में पहुंच गया है. चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था और 5 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया था. 

इसरो ने बताया कि 5 अगस्त को चंद्रयान ने चंद्रमा की पहली ऑर्बिट में पहुंचा था. इसी दिन चंद्रयान की चांद पर पहली तस्वीर सामने आई थी. उस दौरान Chandrayaan-31900 किमी प्रति सेकेंड की गति से 164 x 18074 km के अंडाकार ऑर्बिट में यात्रा कर रहा था. इसके बाद 6 अगस्त को दूसरे ऑर्बिट में पहुंचा और चांद के 170 x 4313 किमी के गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाने लगा था. वहीं 9 अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया. मतलब चंद्रयान की तीसरी बार ऑर्बिट बदली गई. तब यह चांद की सतह से  174 x 1437 km की ऑर्बिट में घूम रहा था.

चंद्रयान-3 की स्पीड कम करने की कोशिश
इसरो ने ट्वीट कर बतया कि आज यानी 14 अगस्त सुबह करीब 11 बजकर 45 मिनट पर Chandrayaan-3 के थ्रस्टर्स को ऑन किया गया. इसके इंजनों को करीब 18 मिनट तक चालू रखा गया. इस दौरान चंद्रयान-3 150 x 177 km वाली गोलाकार कक्षा में घूम रहा है. चांद की कक्षा में इसरो चंद्रयान के इंजनों से रेट्रोफायरिंग करवा रहा है. यानी चंद्रयान की स्पीड को कम करने के लिए उसे उल्टी दिशा में चला रहा है.

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इसरो ने बताया कि 16 अगस्त की सुबह करीब साढ़े आठ बजे चंद्रयान को चांद की पांचवी ऑर्बिट में बदल दिया जाएगा. यानी सिर्फ एक मिनट के लिए इसके इंजन ऑन किए जाएंगे. इसरो ने अभियान के आगे बढ़ने पर चंद्रयान-3 की कक्षा धीरे-धीरे घटानी शुरू की और उसे चंद्र ध्रुव के समीप लाने की प्रक्रियाओं को अंजाम दिया.

 23 अगस्त को होगी लैंडिंग
इसरो के सूत्रों के अनुसार, अंतरिक्ष यान को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचाने के लिए एक और प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा जिसके बाद लैंडर और रोवर से युक्त लैंडिंग मॉड्यूल आगे की प्रक्रिया के तहत ‘प्रॅपल्शन मॉड्यूल’ से अलग हो जाएगा. इसके बाद लैंडर के ‘डीबूस्ट’ (धीमे होने की प्रक्रिया) से गुजरने और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है.

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