Chat GPT है हिंदू धर्म के खिलाफ हाईटेक साजिश, क्यों कह रहे हैं लोग, समझिए पूरा मामला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 18, 2023, 08:05 AM IST

Chat GTP, अंतरिक्ष की संभावनाओं का नया नाम.

Chat GTP एक खास तरह का AI है, जिसके पास आपके हर सवाल का जवाब है.

डीएनए हिंदी: Chat GPT इन दिनों चर्चा के केंद्र में है. इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में लोग जानना चाह रहे हैं. इसके रचनात्मक इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ी है. अब आरोप लग रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए Chat GPT से हिंदू धर्म के खिलाफ बड़ा षड्यंत्र हो रहा है. Chat GPT एक एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक है, जिसकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है. कुछ लोग गूगल के लिए इस तकनीक को बड़ा खतरा मान रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि अगर यह तकनीक असरदार हुई तो गूगल का काम भी खत्म हो सकता है. 

Chat GPT में धार्मिक एंगल भी सामने आ गया है. इस तकनीक में, GPT का मतलब जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर है. सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म रोबोट देखी है आपने? अगर हां तो चिट्टी की तरह चैट जीपीटी के पास भी आपके सभी सवालों का जवाब है. यह एक तरह का रोबोट है, जिसके पास हर तरह की जानकारी है. आप इससे कुछ भी पूछेंगे, इसके पास आपके सवालों का जवाब होगा. Chat GPT में धार्मिक एंगल कैसे सामने आया, हम इसे जानने की कोशिश करते हैं.

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कैसे काम करता है Chat GPT?

चैट जीपीटी अपने प्री फिक्स्ड कोडिंग के जरिए सभी सवालों का जवाब देता है. कहा जा रहा है कि चैट जीटीपी आने वाले वक्त में गूगल सर्च इंजन की जगह भी ले सकता है. चैट जीपीटी एक क्रांतिकारी तकनीक है लेकिन लोग इसलिए चिंता जाहिर कर रहे हैं क्योंकि यह हिंदू धर्म के खिलाफ पक्षपाती है. यह कहा जा रहा है कि चैट जीपीटी ऑटो लर्नर है. मतलब यह खुद सीख लेता है. सही तथ्य यह है कि इसकी पूरी कोडिंग इंसानों ने ही तैयार की है. इसमें सबकुछ लोगों ने ही फीड किया है. ऐसे में उनका पक्षपात, चैट जीपीटी को भी पक्षपाती बना सकता है.  नई तकनीक का पूर्वाग्रह स्पष्ट नजर भी आ रहा है.

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क्यों उठ रहे हैं सवाल?

चैट जीपीटी के बारे में जब, भगवान राम, भगवान कृष्ण और मां सीता के बारे में कुछ सवालों के जवाब पूछे गए तो कुछ आपत्तिजनक बयान सामने आए. हालांकि जब इसी तरह के सवाल सवाल इस्लाम, सिख और ईसाई धर्म  के बारे में पूछे गए तो चैट जीपीटी ने साफ तौर पर जवाब देने से मना कर दिया. Chat GPT ने कहा कि यह किसी धर्म को बदनाम नहीं कर सकता है. 

लोगों का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को इस तरह से विकसित किया है, जिससे यह केवल हिंदू धर्म को बदनाम कर सके. जब अन्य धर्मों के बारे में इसी तरह के प्रश्न पूछे जाएं तो यह उत्तर न दे. लोग इस हाईटेक सर्विस पर हिंदू धर्म के खिलाफ पक्षपाती होने का आरोप लगा रहे हैं.

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