डीएनए हिंदी: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जिस बड़ी जीत का दावा किया जा रहा था वह शुरुआती रुझान के साथ ही कमजोर होने लगे. 12 बजे के बाद तक तो तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई है और बीजेपी अच्छी बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है. इस जीत ने एक्जिट पोल के दावों की तो पोल खोल ही दी है. कांग्रेस के खेमे को भी हैरान कर दिया है क्योंकि किसी ने भी ऐसी हार की कल्पना नहीं की थी. खुद सीएम भूपेश बघेल के लिए अपनी सीट निकालना मुश्किल नजर आ रहा है और 7 मंत्री खबर लिखे जाने तक पीछे चल रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हुआ कि कांग्रेस ने जीती हुई बाजी गंवा दी है. कांग्रेस की हार के पीछे ये कारण गिनाए जा रहे हैं.
महादेव सट्टेबाजी ऐप ने बिगाड़ा खेल
छत्तीलगढ़ चुनाव से ठीक पहले महादेव सट्टेबाजी ऐप का मामला सामने आया और बीजेपी के पास कांग्रेस पर हमला करने के लिए एक मौका मिल गया और इसकी वजह से प्रदेश का सियासी तापमान बढ़ गया था. दरअसल, ये महादेव सट्टेबाजी ऐप का मामला पिछले कुछ महीनों से लगातार चर्चा में बना हुआ है. इस मामले में सीएम भूपेश बघेल का भी नाम आया था और इसने जनता के बीच प्रदेश सरकार की छवि को कमजोर कर दिया.
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योजनाओं का ठीक तरह से लागू नहीं होना
ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भूपेश बघेल सरकार ने कुछ अच्छी योजनाएं लागू की लेकिन उन्हें जमीन पर कुशलता से लागू नहीं किया जा सका. इतना ही नहीं इन योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार के कुछ मामले सामने आए जिससे बघेल सरकार की कार्यकुशलता पर सवाल खड़े होने लगे.
प्रदेश कांग्रेस के बीच टकराव भी रही वजह
एक्सपर्ट के अनुसार, टीएस सिंह देव (TS Singh Dev) को डिप्टी सीएम बनाने में देर कर दी. पार्टी के अदंर लगातार खेमेबाजी की खबरें आती रहीं और शीर्ष नेतृत्व समय रहते इन पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो सका जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं रहा.
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ED के लगातार छापे ने लोगों में बनाया अविश्वास का माहौल
छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी भी लगातार चल रही थी. पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेता लगातार भ्रष्टाचारा का मुद्दा उठा रहे थे. इडी की छापेमारी के चलते जनता में ये संदेश गया कि प्रदेश में भारी भ्रष्टाचार का माहौल है. इसने प्रदेश सरकार के लिए लोगों के मन में अविश्वास की जड़ें और गहरी हो गई.
बीजेपी के संगठित चुनाव प्रचार को नहीं भांप सकी कांग्रेस
चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से भूपेश बघेल आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे थे. दूसरी ओर बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति पर पूरा ध्यान लगाया और प्रदेश कांग्रेस और नेताओं पर जमकर हमला बोला. बीजेपी का चुनाव प्रचार बेहद संगठित था और कार्यकर्ताओं ने पूरी मेहनत झोंक दी और नतीजा बीजेपी के पक्ष में रहा है.
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