मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए सम्मान की लड़ाई बन चुका है. बीजेपी अब तक कांग्रेस के इस अभेद्य दुर्ग में कमल नहीं खिला पाई है. दूसरी ओर कांग्रेस से ज्यादा कमलनाथ के लिए यह अपना वर्चस्व बनाए रखने का सवाल है. इस बार चुनाव रोमांचक होने वाले हैं, क्योंकि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के बाद से ही छिंदवाड़ा में रणनीति बनाकर काम करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने इस बार भी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ पर ही दांव लगाया है.
छिंदवाड़ा है कमलनाथ का अभेद्य किला
2023 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली थी, लेकिन छिंदवाड़ा की सातों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार जीते. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को बीजेपी के बंटी साहू ने कड़ी टक्कर दी थी और महज 34000 वोट से विधानसभा का चुनाव हार गए. इस बार बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीयको छिंदवाड़ा का प्रभारी बनाया है. वह क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं और प्रचार रणनीति पर काम कर रहे हैं.
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नकुलनाथ के सामने विवेक बंटी साहू की चुनौती
कमलनाथ परिवार का कब्जा छिंदवाड़ा की सीट पर 1980 से चला आ रहा है. बीजेपी अब तक कांग्रेस के इस दुर्ग को भेदने में नाकाम रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश से कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक यही सीट आई थी. बीजेपी ने एक बार फिर विवेक बंटी साहू को ही उम्मीदवार बनाया है. वह 27 मार्च को मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में पर्चा भरेंगे.
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