डीएनए हिंदी: ब्रिक्स (BRICS) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई थी. अगले महीने होने वाले जी-20 सम्मेलन (G-20 Summit) में भी चीन के राष्ट्रपति के भारत आने की संभावना है. इस बीच चीन ने फिर से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाने वाली हरकत की है. साल 2023 के लिए जारी अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को अपना हिस्सा बताया है. इसके साथ ही उसने दक्षिण चीन सागर में मौजूद टापुओं पर भी अपना दावा पेश किया है. चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने नया नक्शा जारी करने के बारे में ऐलान किया है. चीन की साम्राज्यवादी मानसिकता पूरी दुनिया के सामने है. अहम सम्मेलन से पहले नक्शा जारी कर बीजिंग ने तनाव बढ़ाने वाला काम किया है.
X पर भी शेयर किया नया नक्शा
सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर भी चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने नक्शा शेयर किया है. एक पोस्ट में लिखा, 'चीन के मानक मानचित्र का 2023 संस्करण आधिकारिक तौर पर सोमवार को जारी किया गया है. प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय की ओर से होस्ट किए गए मानक मानचित्र सेवा की वेबसाइट पर लॉन्च किया गया है. नया नक्शा चीन की साम्राज्यवादी सोच के अनुसार ही है जिसमें बीजिंग ने भारतीय भूभाग को अपना इलाका बताने की हिमाकत की है.
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बॉर्डर के पास चीन ने बढाई है सक्रियता
पिछले कुछ वक्त से कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चीन ने संवेदनशील एलएसी के पास के इलाके में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और वहां 25 गांव बसा दिए हैं. इतना ही नहीं इन दुर्गम इलाकों तक पहुंचने के लिए बीजिंग ने सड़क मार्ग भी बनाया है.कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि चीन के जियाओकांग में पूर्वी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है. चीन की साम्राज्यवादी सोच और दूसरे देशों की जमीन हड़पने की नीयत किसी से छुपी नहीं है.
पिछले कुछ वक्त में बीजिंग ने तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में ऐसे 628 गांव, तवांग में 30 और तुलुंग ला में 25 गांव के होने का अनुमान है. रणनीतिक दृष्टिकोण से तवांग अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर का एंट्री पॉइंट है. साथ ही जहां तक तिब्बतियों का सवाल है, इसका धार्मिक महत्व भी है. भारत को लेकर चीन का दोहरा रवैया हमेशा से ही रहा है. चीन ने तुमुंग ला और चुमार जैसी रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में भी बस्तियां बसाने का काम गुपचुप ढंग से शुरू कर रखा है.
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