CJI Sanjiv Khanna: भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद, जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई के मामलों पर अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मंगलवार को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख पर रोक लगा दी.अब वकीलों को इस तरह के मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए ईमेल या लिखित पत्र भेजने होंगे और इसमें मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता का कारण स्पष्ट करना होगा.
मौखिक उल्लेख पर प्रतिबंध
सीजेआई संजीव खन्ना ने यह स्पष्ट किया कि अब से किसी भी मामले की तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसके बजाय, वकील अपने मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए सिर्फ ईमेल या लिखित पर्ची/पत्र का उपयोग करेंगे, जिसमें उन्हें तत्काल सुनवाई की आवश्यकता और उसका कारण बताना होगा. यह कदम कोर्ट की कार्यप्रणाली को और ज्यादा सुव्यवस्थित बनाने के लिए उठाया गया है.
यह भी पढ़ें : भारत में शराब पीने की सही उम्र का मामला पहुंचा Supreme Court, जानें क्या है पूरा केस
न्यायिक सुधार का प्रयास
संजीव खन्ना ने सोमवार को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. पदभार संभालते ही, जस्टिस खन्ना ने न्यायपालिका के सुधारों और सुशासन को प्राथमिकता देने की बात कही.पदभार संभालने के बाद अपने पहले बयान में, सीजेआई संजीव खन्ना ने न्यायपालिका के कार्य को लोकतंत्र का अभिन्न, स्वतंत्र और महत्वपूर्ण हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि संविधान के तहत न्यायपालिका को संविधानिक संरक्षक और मौलिक अधिकारों का रक्षक बनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्होंने आगे कहा कि, चाहे किसी नागरिक की सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, उन्हें बिना किसी भेदभाव के न्याय मिलना चाहिए. CJI संजीव खन्ना ने आगे कहा कि यह न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह नागरिकों को न्याय दिलाने में उनकी हर संभव मदद करे.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.