22 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला है. यूपी सरकार ने प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानों-ढाबों और ठेलों के सामने मालिक का नाम लिखने के निर्देश दिए हैं. सरकार के इस फैसले पर सियासत तेज हो गई है. कई विपक्षी नेताओं ने इस फैसले पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया हैं.
प्रदेश में दुकानों के सामने मालिक का नाम लिखने को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "BJP ये तय कर चुकी है कि मुसलमानों को सेकंड क्लास सिटीजन बना दिया जाए. हिटलर ने भी यही किया था.
क्या रमजान के महीने में रहेगी शराबबंदी
असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को संविधान का उल्लंघन बताया है. उन्होंने आगे कहा कि "अगर यही स्थिति है तो देश में हर साल अलग-अलग धर्मों के कई त्योहार पड़ते हैं. तो क्या ये सरकार रमजान के महीने में शराब की दुकानों को बंद कर देगी?
ओवैसी का सरकार पर पलटवार
असदुद्दीन ओवैसी ने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि "यूपी सरकार के इस आदेश से मुसलमानों के खिलाफ नफरत बढ़ेगी. गरीब मुसलमानों को नौकरियों से निकाला जाएगा." ओवैसी ने आगे कहा "आज ये मुसलमानों को ऐसा बोल रहे हैं तो कल कहेंगे कि दलित खाना नहीं बना पाएगा."
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2023 में इस मामले ने पकड़ा था तूल
दरअसल इस पूरे मुद्दे की शुरूआत साल 2023 की कांवड़ यात्रा से हुई थी. साल 2023 में कांवड़ यात्रा के दौरान मुजफ्फरनगर जनपद के बघरा ब्लॉक में स्थित योग साधना आश्रम के गुरु यशवीर महाराज ने एक मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि पूरे कांवड़ मार्ग पर कुछ मुस्लिम लोगों ने अपनी दुकान और ढाबे चला रखे हैं, जिन पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर लगी है.
हटवा दी गई थी तस्वीरें
उनकी मांग थी जिन लोगों मुस्लिम लोगों ने देवी-देवताओं की तस्वीर लगा रखी है, वो तस्वीर हटा लें. इस मुद्दे ने पिछली साल तूल पकड़ा था. इसके परिणाम स्वरूप मुजफ्फरनगर के कांवड़ मार्ग से तस्वीरें हटवा दी गई थी.
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