डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के विधानसभा सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी को जमकर घेरा. सीएम योगी ने पहली बार रामचरितमानस विवाद का जिक्र किया और सपा नेताओं की नसीहत दी कि अगर किसी और धर्म के ग्रंथ का अपमान किया जाता तो क्या होता. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस के खिलाफ लगातार विवादित बयान दे रहे हैं. उन्होंने रामचरितमानस को बकवास ग्रंथ तक बता दिया है.
सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी पवित्र ग्रंथ को जलाकर देश और दुनिया में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं को अपमानित कर रही है. मुख्यमंत्री ने विधानमंडल के बजट सत्र में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए सपा पर जमकर आरोप लगाए.
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सपा तुलसीदास को कर रहा है अपमानित
सीएम योगी ने कहा, 'समाजवादी पार्टी का कार्यालय आज संत तुलसीदास जी के खिलाफ अभियान चला रहा है. वह रामचरितमानस जैसे पावन ग्रंथ को अनादर भाव के साथ जगह-जगह अपमानित करने का प्रयास कर रहा है.'
सीएम योगी ने समझाया चौपाई का अर्थ
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस की चौपाई 'ढोल, गंवार शूद्र, पसु, नारी. सकल ताड़ना के अधिकारी' को आधार बनाकर रामचरितमानस पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं. उनकी टिप्पणी पर सीएम योगी ने इसका अर्थ सदन में समझाया. उन्होंने सदन में कहा, 'महोदय यह वही पंक्ति है- प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं. मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं. ढोल, गंवार शूद्र, पसु, नारी. सकल ताड़न के अधिकारी.'
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सीएम योगी ने कहा, 'ढोल एक वाद्य यंत्र है. गंवार का मतलब अशिक्षित से है. शूद्र का मतलब श्रमिक वर्ग से है, किसी जाति विशेष से नहीं. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर भी इस बात को कह चुके हैं कि दलित समाज को आप शूद्र मत बोलो और नारी का मतलब स्त्री से, मातृ सत्ता से है.'
सीएम ने बताया क्या है ताड़ना का अर्थ
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था कि विधानसभा में आदित्यनाथ से इस चौपायी का अर्थ पूछेंगे. योगी आदित्यनाथ ने चौपाई का भावार्थ समझाते हुए कहा, 'रामचरितमानस अवधी में रची गई. अवधी का वाक्य है. भया एतने देर से ताड़त रहा, यहां 'ताड़त' का अर्थ 'देखने' से है. संत तुलसीदास का जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में हुआ था. बुंदेलखंड के परिप्रेक्ष्य में देखेंगे तो वाक्य है भइया मोरे लड़िकन को ताड़े रखियो यानी ''देखभाल करते रहो. संरक्षण करके शिक्षित-प्रशिक्षित करो लेकिन सपा का कार्यालय संत तुलसीदास के खिलाफ अभियान चलाकर मानस जैसे पावन ग्रंथ का अपमान कर रहा है.
'अगर ऐसा किसी और मजहब के साथ होता तो क्या होता?'
सीएम योगी ने कहा कि तुलसीदास ने रामलीलाओं के माध्यम से समाज को एकजुट किया लेकिन, जिस प्रकार कुछ लोगों ने रामचरितमानस फाड़ने का प्रयास किया, वह कृत्य किसी अन्य मत-मजहब के साथ होता तो क्या होता.
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क्यों सदन में हुआ रामचरित मानस का जिक्र?
सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल में ‘श्रीरामचरितमानस’ की एक चौपाई को दलित और महिला विरोधी करार देते हुए इस पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. उनके इस बयान के प्रति संत समाज और बीजेपी ने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी. (इनपुट: PTI)
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