डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी एकता परवान नहीं चढ़ पा रही है. एक मंच पर आने से पहले ही विपक्षी दलों में कुछ मुद्दों पर खींचतान जारी है. पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ एकजुटता के लिए विपक्ष की बेंगलुरु में दूसरी बैठक होने वाली है. इस बैठक के लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी को निमंत्रण ने भेजा है. लेकिन कांग्रेस के इस न्योते पर AAP ने अपनी फिर वही शर्त दोहराई है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पटना मीटिंग में कांग्रेस ने संसद सत्र से पहले दिल्ली अध्यादेश के विरोध का ऐलान करने की बात कही थी. संसद का सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि कांग्रेस जल्द अध्यादेश का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता पर कोई चर्चा तभी होगी जब कांग्रेस औपचारिक रूप से दिल्ली अध्यादेश पर अपना रुख साफ करेगी.
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AAP की शर्त दिल्ली अध्यादेश पर अपना रुख साफ करे कांग्रेस
बता दें कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार से नियंत्रण छीनने का मोदी सरकार का अध्यादेश विपक्षी एकता के प्रयासों में AAP और कांग्रेस के बीच रोड़ा बन गया है. राघव चड्ढा ने बताया कि कांग्रेस ने आप को बेंगलुरु में होने वाली बैठक के लिए निमंत्रण भेजा है. उन्होंने कहा कि पटना मीटिंग के दौरान कांग्रेस ने कहा था कि मानसून सत्र से 15 दिन पहले वह अपना रुख स्पष्ट करेगी. हमें उम्मीद है वह जल्द ही ऐसा करेगी.
क्या NCP की टूट ने बिगाड़ा समीकरण?
बता दें कि 23 जून को बिहार के पटना में नीतीश कुमार के नेतृत्व में विपक्षी दलों की मीटिंग हुई थी. इसमें 15 से ज्यादा दलों के प्रमुख शामिल हुए थे. इस दौरान राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, लालू यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने बीजेपी को हराने को लेकर हुंकार भरी थी और बेंगलुरु में अगली मीटिंग के दौरान फाइनल अजेंडा तय करने की बात कही थी.
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लेकिन इस बीच महाराष्ट्र में एनसीपी के अंदर हुई फूट ने सियासी गणित बदल किया है. एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार बगावत कर एनडीए के साथ चले गए हैं. ऐसे में अब देखना ये होगा कि अजित के जाने विपक्षी एकता पर कितना असर पड़ेगा.
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