'शिवलिंग पर बिच्छू' वाले बयान को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शशि थरूर के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चल रही मानहानि कार्यवाही पर रोक लगा दी. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस आर माधवन की पीठ ने मामले में दिल्ली सरकार और शिकायतकर्ता एवं बीजेपी नेता राजीव बब्बर को नोटिस भेजकर चार हफ्ते में जवाब मांगा है.
शशि थरूर को दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के अनुसार मंगलवार को यहां एक निचली अदालत में पेश होना था. पीठ ने कहा, ‘नोटिस जारी किया जाता है और 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा जाता है. इस बीच आगे की कार्यवाही पर रोक लगाई जाती है. थरूर ने उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही निरस्त करने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 29 अगस्त को सु्प्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुनवाई के दौरान शशि थरूर की ओर से पेश वकील मोहम्मद अली खान ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता को पीड़ित पक्ष नहीं कहा जा सकता और राजनीतिक दल के सदस्यों को भी पीड़ित पक्ष नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि थरूर की टिप्पणी मानहानि कानून के प्रतिरक्षा खंड के तहत संरक्षित है, जो यह निर्धारित करता है कि अच्छी सोच के साथ दिया गया बयान आपराधिक नहीं है.
वकील ने कहा कि थरूर ने टिप्पणी करने से 6 साल पहले कारवां पत्रिका में प्रकाशित एक लेख का संदर्भ दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि 2012 में यह बयान अपमानजनक नहीं था जब लेख मूल रूप से प्रकाशित हुआ था. जस्टिस रॉय ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘आखिरकार यह एक रूपक है. मैंने समझने की कोशिश की है. यह उस व्यक्ति (मोदी) की अजेयता को दर्शाता है. मुझे नहीं पता कि यहां किसी ने आपत्ति क्यों जताई है'
हाईकोर्ट ने क्या दिया था आदेश?
दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानि की शिकायत में तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर 16 अक्टूबर 2020 को रोक लगा दी थी और पक्षकारों को 10 सितंबर को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. थरूर के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ जैसे आरोप घृणित एवं निंदनीय हैं. कोर्ट ने कहा था कि इस टिप्पणी से प्रधानमंत्री, बीजेपी के साथ-साथ इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की मानहानि हुई है.
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निचली अदालत में लंबित मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध करने वाली शशि थरूर की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत उन्हें तलब करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है. थरूर ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को निरस्त किए जाने का अनुरोध किया था.
निचली अदालत ने थरूर को राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत पर आरोपी के रूप में तलब किया था. उन्होंने 2 नवंबर, 2018 को दायर की गई शिकायत को भी रद्द करने का अनुरोध किया था. बब्बर ने थरूर के खिलाफ निचली अदालत में आपराधिक शिकायत दायर की थी और दावा किया था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. अक्टूबर 2018 में थरूर ने दावा किया था कि RSS के एक अनाम नेता ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी. (PTI इनपुट)
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