कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 2022 तक सबके सिर पर छत की 'मोदी की गारंटी' खोखली साबित होने के बाद अब 3 करोड़ आवास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है. दरअसल, पीएम मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई पहली कैबिनेट बैठक में तीन करोड़ नए घर बनाने की मंजूरी दी थी. यह घर प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत बनाए जाएंगे.
मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ‘लोकसभा चुनाव में देश ने ऐसा जवाब दिया कि मोदी सरकार को दूसरों के घरों से कुर्सियां उधार लेकर अपना सत्ता का 'घर' संभालना पड़ रहा है. 17 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री जी ने देश को 'मोदी की गारंटी' दी थी कि 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत होगी. यह गारंटी तो खोखली निकली.'
समयसीमा नहीं की गई तय
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘अब तीन करोड़ प्रधानमंत्री आवास देने का ढिंढोरा ऐसे पीट रहे हैं, जैसे पिछली गारंटी पूरी कर ली हो. देश असलियत जानता है कि इस बार इन तीन करोड़ घरों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है, क्योंकि भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस-UPA के मुकाबले 1.2 करोड़ घर कम बनवाए.’
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खरगे ने दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व में UPA सरकार के दौरान 2004-13 के बीच 4.5 करोड़ घर बनवाए गए थे, जबकि पिछले 10 सालों में केवल 3.3 करोड़ सरकारी घरों का निर्माण हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी जी की आवास योजना में 49 लाख शहरी आवास यानी 60 प्रतिशत घरों का अधिकतर पैसा जनता ने अपनी जेब से भरा.’
सिर्फ 1.5 लाख देकर जनता पर बोझ डाल रही सरकार
कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘एक सरकारी सामान्य शहरी घर औसतन 6.5 लाख रुपये का बनता है, उसमें केंद्र सरकार केवल 1.5 लाख रुपये देती है. इसमें 40 प्रतिशत योगदान राज्यों और नगरपालिका का भी होता है. बाकी के बोझ का ठीकरा जनता के सिर पर फूटता है. वो भी करीब 60% का बोझ. ऐसा संसदीय समिति ने कहा है.’
खरगे ने कहा, ‘समाचार पत्रों से पता चला है कि मोदी जी ने वाराणसी में जो ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत 8 गांवों को विकसित करने के लिए गोद लिया था वहां गरीबों के पास खासकर दलित व पिछड़े समाज को अब तक पक्के घर नहीं मिले. अगर कुछ घर हैं तो भी उनमें पानी नहीं पहुंचा, नल तक नहीं है.’ (PTI इनपुट के साथ)
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