डीएनए हिंदी: 'विपक्षी एकता' ऐसा दुर्लभ संयोग हो गया है कि एक को पकड़ने की कोशिश होती है तो दूसरा भाग जाता है. पटना में होने वाली विपक्षी दलों की रैली टल ही चुकी है. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से कुछ कोशिशें जरूर हो रही हैं लेकिन स्थानीय नेता इससे सहज नहीं हैं. एक तरफ कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को साथ लाना चाहती है, दूसरी तरफ उसी के नेता अधीर रंजन चौधरी लगातार टीएमसी पर हमलावर हैं. अब अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि राज्य के पंचायत चुनाव केंद्रीय सुरक्षा बलों की निगरानी में कराए जाएं.
अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी को घेरते हुए कहा है, 'मुर्शिदाबाद के खारग्राम में कांग्रेस के एक सक्रिय कार्यकर्ता को मार डाला गया. यह पंचायत चुनाव की वजह से हुआ. खारग्राम प्रशासन ने आरोपी को संरक्षण दिया इसी वजह से हत्या हुई. हम इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. टीएमसी बैलेट इलेक्शन चाहती है या बुलेट इलेक्शन? हम टीएमसी को यह खून की राजनीति नहीं करने देंगे.'
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TMC का साथ देने को तैयार नहीं हैं अधीर रंजन
बंगाल से आने वाले अधीर रंजन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. भले ही टीएमसी ने थोड़े नर्म रुक दिखाए हों और कांग्रेस भी उस दिशा में बढ़ना चाह रही हो लेकिन अधीर रंजन चौधरी इसके पक्ष में नहीं हैं. वह लगातार टीएमसी और पश्चिम बंगाल सरकार पर हमलावर रहे हैं. दरअसल, उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को खत्म करने में टीएमसी की अहम भूमिका रही है.
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दूसरी तरफ, विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिशें भी ठंडी पड़ती दिख रही हैं. दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस AAP का समर्थन करने को तैयार नहीं है. कांग्रेस और टीएमसी के बीच दूरियां लगातार बनी हुई हैं. इसी बीच पटना में होने वाली संयुक्त विपक्ष की रैली भी टल गई है. ऐसे में देखना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता किस प्रकार हो पाती है.
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