Congress MP Imran Masood: 'जब जब लोकतंत्र के अंदर सरकार को एक मजबूत विपक्ष नहीं मिलता है तो सरकार बेलगाम हो जाती है' अब एक मजबूत विपक्ष है.' यह कहना है सहारनपुर से लोकसभा पहुंचे कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद का. मसूद कहते हैं, 'इसबार पार्लियामेंट के अंदर मजबूत विपक्ष देखने को मिलेगा.'
अपने कंट्रोवर्सियल बयान के लिए छाए रहने वाले इमरान मसूद कहते हैं, 'मैं मजलूम की आवाज बनने आया हूं.'
वह आगे कहते हैं कि मैं किसी एक धर्म या फिर जाति के लिए नहीं काम कर रहा हूं मैं मजलूमों की आवाज बनूंगा. मेरे दर पे आने वाला कोई भी हो सकता है हिंदू, मुस्लिम य़ा फिर गरीब. जो भी पीड़ित होगा मैं उसकी आवाज बनूंगा.
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100 दिन का एजेंडा
2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से चुनावी सफर शुरुआत करने वाले मसूद अभी तक सिर्फ एक ही चुनाव जीते उसके बाद लगातार चुनाव हारते गए. वह कहते हैं, 'मैंने हारना नहीं सीखा.' अपनी सफल चुनावी शुरुआत के बाद से 53-वर्षीय इमरान मसूद चार चुनाव हार चुके हैं इसमें 2012 का विधानसभा चुनाव, 2014 का संसदीय चुनाव, 2017 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव शामिल है. लेकिन इन हारों ने न तो उनके जज्बे को कम किया और न ही सहारनपुर में उनकी पकड़ ही कमजोर हुई. उनके प्रशंसक बने रहे और बने हुए हैं. वह कहते हैं कि मेरा एजेंडा ही विकास और सौहार्द है.
वह कहते हैं अगले 100 दिनों में सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल बनाने के लिए काम करूंगा क्योंकि सहारनपुर के लोगों के लिए जरूरी है ऐसा अस्पताल. यहां किसी भी बीमारी पर लोग कभी लखनऊ में धक्के खाते हैं या फिर दिल्ली के अस्पतालों में चक्कर लगाते हैं. वहीं वह यह भी कहते हैं कि सहारनपुर में जाम बहुत लगता है इसलिए वह नितिन गडकरी से बात करेंगे और एक हाइवे निकलवाने की बात करेंगे...वह कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि नितिन गडकरी उनकी मदद करेंगे. सांसद आगे डीएनए से बातचीत में कहते हैं कि सरकार कोई भी हो उनका काम जनहित ही होता है.
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मरते दम तक रहूंगा कांग्रेस में
विवादित बयानों के लिए पॉपुलर रहे इमरान मसूद ने महज तीन सालों में तीन पार्टियां बदलीं इसलिए उन्हें दल-बदलू भी कहा जाता है.वह इस सवाल पर कहते हैं कि, 'मैं कब्र तक कांग्रेस में ही रहूंगा.' कहते हैं पिछले दो वर्षों में ऐसा हुआ कि मुझे पार्टियां बदलनी पड़ी लेकिन दिल से मैं कांग्रेसी ही हूं. मैं भले ही पार्टियां बदलता रहा लेकिन दिल से मैं कांग्रेसी ही हूं और अब यह कहना चाहता हूं कि मरते दम तक राहुल गांधी के साथ उनके मजबूत सिपाही की तरह जुड़ा रहूंगा और खड़ा रहूंगा.
https://x.com/Imranmasood_Inc/status/1812468802392842339
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ऊपरवाले का करम है
इमरान मसूद 2007में पहला विधानसभा चुनाव जीते थे और उसके बाद लगातार हारते रहे लेकिन उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ती ही गई. इसपर वह बहुत सधे हुए अंदाज में कहते हैं.मैं हारूं या जीतूं मेरा काम है लोगों की मदद करना.
वह कहते हैं इलाकी की मां, बहन बेटियां और बच्चे मुझे शुरू से ही बहुत प्यार करते हैं और ये ऊपरवाले का करम है. वह बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान रात के दो ढाई भी बज जाते थे बहनें छत पर तो बच्चे सड़क पर मेरे आने और रैली-भाषण का इंतजार करते थे. यह सब ऊपरवाले का करम है.
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