डीएनए हिंदी: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) ने कई दौर देखे हैं. कभी नरम और गरम दल का विभाजन और फिर विलय हुआ, कभी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को पार्टी से निकाल गया और उन्होंने अलग कांग्रेस ही बना डाली. अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस एक बार फिर से किसी निर्णायक मोड़ पर है. लंबे समय के बाद कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव होना है. तीन साल से खाली पड़े इस पद के लिए गांधी परिवार के वफादार अभी भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को मनाने की बात कर रहे हैं. दूसरी ओर, पार्टी में सुधार और रिवाइवल की मांग कर रहा G-23 गुट वोटिंग के लिए योग्य माने गए डेलिगेट की सूची पर ही सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस एक बार फिर से दोफाड़ हो सकती है?
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होना है. इस पद के लिए नामांकन 24 सितंबर से शुरू हो जाएगा. पार्टी के मुताबिक, अध्यक्ष पद चुनने की प्रक्रिया में 9,000 से ज्यादा डेलिगेट हिस्सा लेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सिर्फ़ एक ही व्यक्ति का नामांकन होता है तो चुनाव नहीं कराए जाएंगे और उसे ही पार्टी का नया अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा.
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G-23 ने उठाए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कार्य समिति की बैठक में अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार किए जाने को लेकर सवाल खड़े किए और यह पूछा कि पार्टी के संविधान के तहत उचित प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं. सूत्रों के अनुसार, पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री की ओर से कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित कार्यक्रम रखे जाने से पहले शर्मा ने दावा किया कि उन्हें शिकायत मिली है कि निर्वाचन सूची को अंतिम रूप देने के लिए न तो कोई ऑनलाइन बैठक हुई और न ही प्रत्यक्ष उपस्थिति वाली कोई बैठक हुई.
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सूत्रों ने बताया कि 'जी 23' के प्रमुख सदस्य शर्मा ने बैठक में इस बात का भी उल्लेख किया कि किसी प्रदेश इकाई को उन डेलीगेट की कोई सूची नहीं मिली है जो अध्यक्ष के चुनाव में मतदान करने वाले हैं और इस तरह की प्रक्रिया पूरे चुनाव की शुचिता का हनन करती है. शर्मा ने डेलीगेट की निर्वाचन सूची सार्वजनिक करने की मांग की, जिस पर मिस्त्री ने कहा कि चुनाव लड़ने के इच्छुक किसी भी उम्मीदवार और प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को यह सूची उपलब्ध कराई जाएगी. मिस्त्री ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में 9,000 से अधिक डेलीगेट मतदान करेंगे और सभी सूचियां सत्यापित हो चुकी हैं और इन पर निर्वाचन अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर किए जा चुके हैं.
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राहुल गांधी को मनाने में जुटा वफादारों का ग्रुप
कांग्रेस में नेताओं का एक बड़ा गुट ऐसा है जो हर हाल में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद इस पद से इस्तीफा दिया था. तमाम कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने साफ कह दिया है कि वह या उनकी बहन प्रियंका गांधी भी पार्टी के अध्यक्ष पद का जिम्मा नहीं संभालेंगी.
दूसरी ओर, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत और सलमान खुर्शीद का कहना है कि राहुल गांधी पर दबाव बनाया जाएगा कि वह पार्टी के अध्यक्ष का पद संभालें. दरअसल, पार्टी के एक बडे़ वर्ग का मानना है कि गांधी परिवार के नेतृत्व में ही कांग्रेस काम कर सकती है वरना पार्टी में गुटबाजी इतनी बढ़ जाएगी कि वह एक झटके में बिखर जाएगी.
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लगातार इस्तीफों से जूझ रही है कांग्रेस
आपको बता दें कि आनंद शर्मा ने पिछले दिनों कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश इकाई की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनका कहना था कि निरंतर अलग-थलग रखे जाने और अपमानित किए जाने के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. उधर, जी 23 में आनंद शर्मा के साथी रहे गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेतृत्व आंतरिक चुनाव के नाम पर धोखा दे रहा है. उन्होंने राहुल गांधी पर 'अपरिपक्व और बचकाने' व्यवहार का आरोप भी लगाया था. कांग्रेस ने उन पर पलटवार करते हुए पार्टी को धोखा देने का आरोप लगाया था और कहा था कि उनका 'डीएनए मोदी-मय' हो गया है.
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