Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष में कौन सा गुण होना ज़रूरी? जानिए क्या कहते थे महात्मा गांधी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 17, 2022, 11:22 AM IST

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए हो रहा है चुनाव

Congress President Election: कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव से पहले जानिए कि महात्मा गांधी का इस पर क्या सोचना था.

डीएनए हिंदी: कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव शुरू हो गया है. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर में से किसी एक को चुना जाना है. इन नेताओं का खासियतों और कमियों को लेकर खूब चर्चा हो रही है. खुद शशि थरूर कह रहे हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे उनसे वरिष्ठ और कहीं ज्यादा अनुभवी नेता हैं. कांग्रेस का जिक्र हो और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता. महात्मा गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर अपनी राय मुखरता से रखी थी. कई बार ऐसे मौके भी आए जब उन्होंने अपने पसंदीदा नेता को कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनवाया.

बीते समय में दादाभाई नौरोजी, गोपालकृष्ण  गोखले, बाल गंगाधर तिलक, मदनमोहन मालवीय, जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद सरीखे नेताओं ने कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाला. एक समय ऐसा भी था जब महात्मा गांधी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर बैठे. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए व्यक्ति में क्या योग्यता होना चाहिए, क्या नहीं, इस पर महात्मा गांधी की राय बहुत अहम हो जाती है.

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'योग्यता ऐसी हो कि नाम बता देना ही काफी हो'
डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी आत्मकथा लिखते हैं, 'महात्मा गांधी कहते हैं कि जो आदमी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए लालायित हो, उसे इस पद पर नहीं बैठना चाहिए. जो व्यक्ति इसे प्रतिष्ठा के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए स्वीकार करता है, वह इसके लिए इच्छा नहीं दिखाता. कांग्रेस पार्टी पर लोगों का भरोसा होना चाहिए. उसके उम्मीदवार ऐसे सच्चे और लोकप्रिय सेवक होने चाहिए कि कांग्रेस सिर्फ अपना घोषणापत्र बांटकर, उम्मीदवारों के नाम प्रकाशित कर दिए जाएं और इतना ही काफी हो.'

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महात्मा गांधी का मानना था कि पार्टी और नेता नैतिकता और सेवा के उच्च मानकों को अपनाएं और उनका पालन करें. कांग्रेस पार्टी लोगों का भरोसा सिर्फ़ नि:स्वार्थ सेवा से ही हासिल कर सकती है. आपको बता दें कि महात्मा गांधी हमेशा से कांग्रेस में नए चेहरों की वकालत किया करते थे. साल 1929 में सरदार पटेल आश्वस्त थे कि वही अध्यक्ष बनेंगे. उस वक्त लंदन से पढ़ाई करके लौटे युवा जवाहर लाल नेहरू के पक्ष में महात्मा गांधी खड़े हो गए.

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