Congress Steering Committee : कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में खड़गे ने नेताओं से मांगी रिपोर्ट, कहा- 'सभी की जवाबदेही होगी तय'

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 04, 2022, 01:32 PM IST

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो-PTI)

Congress Steering Committee Meeting: खड़गे ने संगठन में काम करने वाले युवाओं को भी शामिल करने के संकेत दिए हैं.

डीएनए हिंदीः कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) पार्टी के संगठन में नई जान फूंकने के लिए जोर लगा रहे हैं. हिमाचल और गुजरात चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर पार्टी की स्टीयरिंग कमेटी की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में सोनिया गांधी से लेकर अशोक गहलोत और भूपेश बघेल समेत कई बड़े नेता शामिल हुए हैं. खड़गे ने बैठक में पार्टी नेताओं को उनकी जिम्मेदारी तय करने के संकेत दिए हैं. 

जवाबदेही होगी तय
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक जवाबदेही की जरूरत है. जो लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में अक्षम हैं, उन्हें नए लोगों को मौका देना चाहिए. पार्टी की संचालन समिति की बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी पहले खुद की जिम्मेदारी सुनिश्चित करें. खड़गे ने पदाधिकारों से पूछा कि आपके प्रदेश में, जिसके आप प्रभारी हैं, अगले 30 दिन से 90 दिन के बीच में संगठन व जनहित के मुद्दों पर आंदोलन के लिए क्या रूपरेखा है? जिन प्रांतों में आज से साल 2024 के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां चुनाव तक क्या प्लानिंग और एक्टिविटी शेड्यूल है. कांग्रेस अध्यक्ष ने सख्त लहजे में कहा कि कुछ साथियों ने यह मान लिया है कि जिम्मेदारी निभाने में कमी को नजरंदाज कर दिया जाएगा.

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पदाधिकारियों से पूछे सवाल
खड़गे ने महासचिव और प्रभारियों से पूछा कि जमीनी स्तर पर क्या बदलाव हो रहा है. उन्होंने महासचिव और प्रभारी से पूछा कि क्या आपको जिन राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है उनमें महीने में कम से कम 10 दिन दौरा करते हैं? क्या आपने हर जिला, इकाई पर जाकर पार्टी के नेताओं से चर्चा की है, क्या स्थानीय समस्याएं जानी हैं? क्या सभी जिला कांग्रेस व ब्लॉक कांग्रेस कमिटी का गठन हो चुका है? उन्होंने कहा कि  जब देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, वंचितों और शोषितों में असुरक्षा का माहौल हो, और आए दिन सरकार उनके अधिकारों का दमन करे, तो यह देश के मेहनतकशों की जिंदगी पर हमला है. जब देश का किसान दिल्ली के दरवाजे पर आत्महत्या को मजबूर हो जाए, और उसे एमएसपी की गारंटी के लिए अपनी ही सरकार से संघर्ष करना पड़े, तो यह अन्नदाता की जिंदगी पर हमला है.

इनपुट-भाषा

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