डीएनए हिंदी: कांग्रेस पर मोदी सरकार एक और नया राजनीतिक बम गिरा सकती है जिससे पार्टी की संसद में ताकत पहले से भी कम हो जाएगी. जानकारी के मुताबिक पार्टी से दो अहम संसदीय समितियां छिन सकती हैं जिसमें गृह और आईटी समिति हैं. इन दोनों ही संसदीय समिति पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की पकड़ है. ऐसे में समितियों के हाथ से निकलने की आशंकाओं के बीच लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर सरकार के कदमों पर आपत्ति जाहिर की है.
दरअसल, लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति की अध्यक्षता कांग्रेस से वापस ली जा रही है. बुधवार को लिखे पत्र में चौधरी ने कहा कि उन्हें संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कांग्रेस से सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति की अध्यक्षता का दायित्व वापस लेने का निर्णय हुआ है जो कि आपत्तिजनक है.
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ओम बिरला को लिखा पत्र
ओम बिरला को लिखे अपने पत्र में अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "सरकार को यह समझना चाहिए कि विभाग संबंधी स्थायी समिति जैसे महत्वपूर्ण निकायों में चर्चा और संवाद तथा दलगत भावना से ऊपर उठकर सहयोग को प्रोत्सहित करने के सिद्धांतों का सम्मान किया जाना चाहिए. राज्य सभा में भी ऐसा ही रूख अपनाया जा रहा है जो कि आपत्तिजनक है.
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गौरतलब है कि इससे पहले राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि एक साजिश के तहत कांग्रेस से गृह विभाग से संबंधित समिति छीनी जा रही है. इस मामले में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस संबंध में उपरी सदन में कांग्रेस की घटती संख्या का संदर्भ दिया जा रहा है.
दिग्गजों के पास है अध्यक्षता
आपको बता दें कि गृह विभाग से जुड़ी संसदीय समिति का जिम्मा कांग्रेस के दिग्गज नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के पास है. इसके अलावा आईटी विभाग से जुड़ी समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर के पास हैं जिनको लेकर संभावनाएं हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ सकते हैं.
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ऐसे में यदि इन दो समितियों से कांग्रेस की पकड़ ढीली होती है तो पार्टी की ताकत संसद में पहले से ज्यादा दयनीय हो जाएगी और बीजेपी की कोशिश भी पार्टी को संसद में अलग-थलग करने की ही है. बीजेपी का इस पूरी कार्रवाई के पीछे तर्क कांग्रेस की सदन में कम संख्या बताई जा रही है.
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