डीएनए हिंदी: हाल ही में नोएडा के एक मॉल के रेस्टोरेंट में मारपीट हो गई थी. इस झगड़े की वजह यह थी कि रेस्टोरेंट ने बिल में भारी भरकम सर्विस टैक्स जोड़ दिया था. खाना खाने आए परिवार ने सर्विस टैक्स देने से इनकार किया, कहासुनी हुई और फिर मारपीट हो गई. वीडियो वायरल हुआ तो मामला ग्राहक मामलों के विभाग तक पहुंचा. अब ग्राहक मामलों के विभाग ने नेशनल रेस्टोरेंट असोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट ऑफ असोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि किसी भी ग्राहक पर सर्विस चार्ज को थोपा न जाए.
नोएडा के स्पेक्ट्रम मॉल में हुई इस मारपीट के बाद पुलिस तक बात पहुंची और केस भी दर्ज हुआ. सर्विस टैक्स पर जारी इस विवाद के बीच अब कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट ने NRAI के अध्यक्ष कबीर सूरी और FHRAI के अध्यक्ष सुरेश पोद्दार को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में लिखा गया है कि सर्विस टैक्स विवेक पर आधारित है यानी ग्राहक देना चाहे तो दे, न देना चाहे तो न दे. ऐसे में ग्राहकों पर सर्विस टैक्स न थोपा जाए. खासकर, अगर ग्राहक रेस्टोरेंट की सुविधाओं से संतुष्ट नहीं है उस स्थिति में तो बिल्कुल भी सर्विस टैक्स नहीं मांगना चाहिए.
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'ग्राहक की सुनें, सर्विस टैक्स न थोपें'
इस चिट्ठी में लिखा गया है, 'मैं आपसे निवेदन करता हूं कि अपने संगठन के सदसस्यों से कहें कि वे सर्विस टैक्स लेने की जिद न करें और इसे अनिवार्य रूप से न वसूलें. अगर ग्राहक सर्विस टैक्स को बिल से हटाने की मांग करें तो उनसे वह जबरदस्ती न वसूला जाए. आप भी इस बात से सहमत होंगे कि टिप या इस तरह के अन्य चार्ज ग्राहक की खुशी पर निर्भर करते हैं. अगर वह सुविधाओं से संतुष्ट है तो वह सर्विस टैक्स दे सकता है.'
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बता दें कि सर्विस टैक्स को लेकर एक मुकदमा दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा है. पिछले साल हाई कोर्ट ने सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी की उस गाइडलाइन पर रोक लगा दी थी जिसमें कहा गया था कि होटल और रेस्टोरेंट बिल में अपने आप सर्विस टैक्स नहीं जोड़ सकते हैं. इस साल अप्रैल में हाई कोर्ट ने कहा था कि बिल में इस तरह न दिखाया जाए कि कोर्ट के आदेश पर सर्विस टैक्स लिया जा रहा है, इससे ग्राहक गुमराह होंगे.
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