डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ (Supreme Court Constitution Bench) ने देश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर एक अहम फैसला दिया है. संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा है कि किसी पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ रिश्वत मांगने का सीधा सबूत न होने के बावजूद उसे भ्रष्टाचार निरोधक कानून (Prevention of Corruption Act) के तहत दोषी साबित किया जा सकता है. संविधान पीठ ने कहा है कि इस तरह के केस में जांच एजेंसी की ओर से जुटाए गए परिस्थितिजन्य साक्ष्य (circumstantial evidence) जैसे दूसरे सबूतों के जरिये भी आरोप साबित किया जा सकता है. साथ ही संविधान पीठ ने कहा है कि 'करप्शन कैंसर के समान' है, जो समाज को खोखला कर रहा है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भ्रष्ट अधिकारियों को सज़ा दिलाना ज़रूरी
जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर (Justice S. Abdul Nazeer) की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने अपने फैसले में समाज में फैले भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा करप्शन, कैंसर की तरह समाज को खोखला कर रहा है. ये इतनी बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है कि सरकार का कोई महकमा अब इससे अछूता नहीं रह गया है. ये स्थिति राष्ट्र निर्माण में बाधक होने के साथ साथ ईमानदार अफसरो को निराश करने वाली है. जांच एजेंसियों को अपनी ओर से ईमानदार प्रयास करने चाहिए ताकि भ्रष्टाचार में शामिल लोक सेवकों का गुनाह साबित कर उन्हें सज़ा दिलाई जा सके और सरकार और प्रशासन में फैले करप्शन से निजात मिल सके.
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संविधान पीठ के सामने था ये सवाल
दरअसल संविधान पीठ इस मसले पर विचार कर रही थी कि लोक सेवको के खिलाफ रिश्वत के मामलों में उनके खिलाफ कोई सीधा सबूत न होने के बावजूद क्या जांच एजेंसियों की ओर से जुटाए सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है. संविधान पीठ ने अपने फैसले में साफ किया कि ऐसे मामलों में जहां शिकायकर्ता की मौत हो जाये या फिर वो अपने बयान से मुकर जाए या किसी वजह से ट्रायल के दौरान उसकी गवाही न हो, तब भी दूसरे सबूतों के जरिये आरोपी का गुनाह साबित किया जा सकता है.
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इन आंकड़ों से समझिए सुप्रीम कोर्ट के इस कमेंट का कारण
सुप्रीम कोर्ट को इतनी कठोर टिप्पणी क्यों करनी पड़ी है? इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि साल 2021 के लिए भारत को Corruption Perceptions Index (CPI) में 180 भ्रष्ट देशों में 85वें नंबर पर रखा गया है. इस साल जनवरी में सामने आए भारत को 0 से 100 तक के CPI स्केल पर 40 अंक मिले थे. बता दें कि 0 अंक वाले देश को सबसे ज्यादा भ्रष्टाचारी माना जाता है, जबकि 100 अंक वाले को साफ-सुथरा. हालांकि राहत की बात ये है कि इससे पहले जनवरी, 2021 में आए इंडेक्स में भारत को 86वां स्थान मिला था यानी भ्रष्टाचार एक पायदान कम रहा है.
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एशिया में सबसे ज्यादा है भारत में रिश्वतखोरी
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) के एक सर्वे के मुताबिक, भारत में रिश्वतखोरी की दर एशियाई देशों में सबसे ज्यादा है. साल 2020 के अंत में हुए सर्वे के मुताबिक, भारत में ओवरऑल रिश्वतखोरी की दर 39% है, जबकि पर्सनल कनेक्शन्स के जरिये बैकडोर काम करवाने की दर 46% आंकी गई है. दूसरे नंबर पर मौजूद इंडोनेशिया (Indonesia Corruption) में 36%, जबकि तीसरे स्थान वाले चीन (China Corruption) में 32% लोग अपने काम बैकडोर पर्सनल कनेक्शन्स से कराने में सफल रहते हैं.
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