कोविड-19 वैक्सीन बनाने वाली एस्ट्राजेनेका ने एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया है. एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में पहली बार माना है कि कोविड-19 वैक्सीन की वजह से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. कोविड-19 महामारी के समय पूरी दुनिया में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन को कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया समेत कई अलग-अलग नामों से पूरी दुनिया के कई देशों में बेचा गया था.
महामारी के करीब 4 साल बाद अब एस्ट्राजेनेका ने माना कि उसकी कोविड वैक्सीन लोगों में दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है. एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन के हाई कोर्ट को सौंपे दस्तावेज में बताया है कि वैक्सीन लेने के बाद थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) का खतरा रहता है. जिसका मतलब है कि यह वैक्सीन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और प्लेटलेट्स गिरने का कारण बन सकती है. इसके साथ एस्ट्राजेनेका की ओर से दावा किया गया है कि ऐसे मामलों की संख्या काफी कम होगी.
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एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर लगे ऐसे आरोप
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से होने वाली मौतों समेत कई गंभीर बीमारियों को लेकर एस्ट्राजेनेका पर केस दायर किया गया था. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की मदद से बनाई गई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर आरोप लगा कि इस वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं. इस मामले में जैमी स्कॉट ने मुकदमा दायर किया था. उन्होंने अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की डोज ली थी. उनका आरोप है कि वैक्सीन लेने के बाद उनके दिमाग में खून का थक्का जम गया और खून बहने लगा. जिससे उनके मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई और वह काम करने में असमर्थ हो गए. जिसके बाद मई 2023 में कंपनी की ओर से दिए गए जवाब में दावा किया गया था कि वे यह स्वीकार नहीं करते हैं कि टीटीएस सामान्य स्तर पर वैक्सीन से प्रेरित है.
उनकी तरह ही कई अन्य परिवारों ने भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई है. यूके की कोर्ट में दायर मुकदमे में प्रभावित व्यक्ति और उनके परिवार करीब £100 मिलियन के मुआवजे की मांग कर रहे हैं. अगर कंपनी कुछ खास मामलों में वैक्सीन की वजह से गंभीर बीमारी या मौत होने की बात मानती है तो उसे भारी मुआवजा देना पड़ सकता है.
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सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में तैयार की थी वैक्सीन
भारत में कोविशील्ड वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ने तैयार किया था. जिसे बाद में भारत समेत दुनियाभर के करोड़ों लोगों को लगाया गया. जानकारी के लिए बता दें कि सुरक्षा संबंधित मामलों को देखते हुए यूके में अब ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन इस्तेमाल नहीं की जाती है. गौरतलब है कि पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन लोगों में टीटीएस का असर दिखा जिन्हें कोरोनारोधी वैक्सीन लगाई गई थी.
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