सीपीआई के कद्दावर नेता अतुल कुमार अंजान का निधन हो गया. 61 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. सीपीआई के कद्दावर नेता अतुल कुमार अंजान का निधन हो गया. 61 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. अतुल कुमार अंजान पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे. बताया जा रहा है कि वह कैंसर से पीड़ित थे. उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्होंने राजनीति की शुरुआत लखनऊ यूनिवर्सिटी से की थी. वह साल 1977 में लखनऊ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने थे. अतुल अंजान को वामपंथी राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था.
अतुल कुमार अंजान के निधन पर दुःख जताते हुए RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने लिखा,'' श्री अतुल कुमार अंजान जी के निधन से मैं स्तब्ध हूं. वो एक बहादुर और समर्पित लोक सेवक थे, उन्हें अपनी भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.'' कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने लिखा,''नही रहे, जन प्रिय राजनेता अतुल कुमार अंजान साहब, भावपूर्ण श्रद्धांजलि. कामरेड आप बहुत याद आओगे.'' बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने अंजान के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने कहा, ''दमदार जननेता, बेहतरीन इंसान, संघर्ष, संकल्प, समरसता की सशक्त शख्सियत कामरेड अतुल अंजान का निधन समाचार दुखद और विचलित करने वाला है. ईश्वर उनके परिवार-मित्रों, साथियों को इस अफ़सोसनाक दुख को सहने की शक्ति दे,ऊँ शान्ति.''
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कई भाषाओं के जानकर थे अतुल कुमार अंजान
लखनऊ यूनिवर्सिटी में वह स्टूडेंट्स की मुद्दों को उठाते रहे, जिससे वह इतने लोकप्रिय हुए कि उन्होंने चार बार लखनऊ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन का अध्यक्ष पद का चुनाव जीता. जिसके बाद वह राजनीति में आगे बढ़ते चले गए. अतुल कुमार की गिनती प्रभावशाली वक्ता के तौर पर होती थी, वह टीवी चैनलों की डिबेट में अपनी पार्टी की बात दमदारी के साथ रखते थे. उनको करीब आधा दर्जन भाषाओं की जानकारी थी.
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कभी नहीं जीत पाए लोकसभा चुनाव
उन्हें वामपंथी राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था. अंजान घोसी से 4 बार सांसद प्रत्याशी रहे लेकिन उन्हें कभी भी जीत नहीं मिली. वह सीपीआई के CPI के राष्ट्रीय महासचिव थे. अंजान यूपी के पुलिस-पीएसी विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक थे. अपने राजनीतिक करियर में वह कई महीने जेल में भी रहे.
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