बिना जुर्म किए 9 साल जेल में काट दिए, अब हाईकोर्ट ने बताया निर्दोष, चौंका देगी ये खौफनाक साजिश

Written By रईश खान | Updated: Nov 02, 2024, 09:38 PM IST

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निचली अदालत ने सुदीप बनर्जी को अपने बढ़े भाई रणदीप बनर्जी की हत्या का दोषी मानते हुए 25 मई, 2017 को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

भारतीय सविंधान के तहत पूर्णतया जांच और सबूतों के आधार पर कोर्ट किसी आरोपी को सजा सुनाती है. लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे तथ्य कोर्ट में पेश कर दिए जाते हैं जिसकी वजह से किसी निर्दोष को इसका खामियाजा भुगतना पड़ जाता है. ऐसा ही एक मामला पश्चिम बंगाल से सामने आया है. जहां बड़े भाई की हत्या के जुर्म में 9 साल से जेल काट रहे व्यक्ति को निर्दोष पाया गया है.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस व्यक्ति की आजीवन कारावास की सजा को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि वह अपने बड़े भाई की हत्या का दोषी नहीं है और 9 साल से अधिक समय तक हिरासत में रह चुका है. हाईकोर्ट की एक पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की कड़ियां जोड़ने और अपराध को सभी उचित संदेहों से परे साबित करने में बुरी तरह विफल रहा.

जस्टिस सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोर्ट की नजर में यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता रणदीप बनर्जी अपने बड़े भाई की हत्या का दोषी नहीं है, जिसे कुछ ‘न्यूरोलॉजिकल’ समस्याएं थीं. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा उसकी दोषसिद्धि को रद्द करते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया। पीठ में न्यायमूर्ति उदय कुमार भी शामिल थे। अलीपुर की एक अतिरिक्त सत्र अदालत के रणदीप बनर्जी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

2015 से रणदीप बनर्जी जेल में था बंद
कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. अलीपुर की अदालत ने सुदीप बनर्जी नामक व्यक्ति की मौत के सिलसिले में 24 अप्रैल, 2015 को गरियाहाट थाने में दर्ज हत्या के मामले में 25 मई, 2017 को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत रणदीप बनर्जी को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

रणदीप बनर्जी ने निचली अदालत को इस फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. पीड़ित के वकील वकील सोहम बनर्जी ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके मुवक्किल 24 अप्रैल, 2015 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में बंद था.

मृतक सुदीप अपनी पत्नी और बेटे से अलग होने के बाद 2009 से रणदीप के साथ बल्लीगंज गार्डन में एक घर में रह रहा था. अदालत को बताया गया कि रणदीप अविवाहित और बेरोजगार था. पीठ ने पिछले महीने सुनाए गए फैसले में कहा था कि दोषसिद्धि केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर की गई थी. न्यायालय ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन यह तभी संभव है, जब इसमें वे सभी कड़ी शामिल हों, जो आरोपी को घटना से जोड़ती हों.

(PTI इनपुट के साथ)

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