CRPF Recruitment 2023: CRPF भर्ती परीक्षा में तमिल भाषा नहीं होने पर भड़के स्टालिन, अमित शाह को लिखी चिट्ठी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 09, 2023, 06:22 PM IST

Stalin letter to Amit Shah

स्टालिन ने कहा, CRPF भर्ती परीक्षा में हिंदी और अंग्रेजी को अनिवार्य करना तमिलनाडु के अभ्यर्थियों के लिए अपनी मातृभाषा में पेपर देने में असमर्थ बनाता है.

डीएनए हिंदी: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की भर्ती के लिए कंप्यूटर परीक्षा में तमिल को शामिल नहीं किए जाने का विरोध करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. स्टालिन का आरोप है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु की जनता पर जबरन हिंदी भाषा थोप रही है. उन्होंने कहा कि भर्ती परीक्षा में केवल अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य करने संबंधी अधिसूचना भेदभावपूर्ण एवं एकतरफा फैसला है.

बता दें कि रविवार को एक सरकारी नोटिफिकेशन जारी किया गया. जिसमें सीआरपीएफ की 9,212 रिक्तियों में से 579 तमिलनाडु से भरी जानी है. जिसके लिए 12 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की जाएगी. सीएम स्टालिन ने अपने पत्र में अमित शाह से कहा है कि केंद्र की यह अधिसूचना कि परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी में ही दी जा सकती है, तमिलनाडु के अभ्यर्थियों को अपने ही गृहराज्य में अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने में असमर्थ बनाती है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ये फैसला तमिलनाडु के उम्मीदवारों को परीक्षा देने से रोकता है. यह संवैधानिक अधिकारों का हनन है.

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स्टालिन ने कहा कि इसके अलावा परीक्षा में 100 अंक में से 25 हिंदी में मूलभूत बोध के लिए निर्धारित किए गए हैं, जिससे केवल हिंदी भाषी उम्मीदवारों को ही फायदा होगा. विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री ने अमित शाह से कहा, ‘सरल शब्दों में सीआरपीएफ नोटिफिकेशन तमिलनाडु से आवेदन कर रहे अभ्यर्थियों के हितों के विरूद्ध है. यह न केवल एकतरफा है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है.’ 

CRPF भर्ती परीक्षा में तमिल भाषा को भी किया जाए शामिल
स्टालिन ने कहा कि इससे अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी हासिल करने में बाधा आएगी. यह अधिसूचना अभ्यर्थियों के संवैधानिक अधिकार के विरूद्ध है. उन्होंने शाह से परीक्षा प्रक्रिया में तमिल समेत क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करके गैर हिंदी भाषी युवाओं को परीक्षा दे पाने में सक्षम बनाने हेतु तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.

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दही के नाम पर भी हुआ था विवाद
इससे पहले दही के नाम पर विवाद हुआ था. इस विवाद को हवा देश की फूड सेफ्टी पर नजर रखने वाली संस्था FSSAI ने दी थी. FSSAI ने दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को कहा था कि वह पैकेट पर दही ही लिखें. इस आदेश से तमिलाडु के सीएम एमके स्टालिन नाराज हो गए थे. उन्होंने दक्षिण भारत में जबरन हिंदी थोपने का आरोप लगाया था. विवाद जब ज्यादा बढ़ा तो FSSAI ने अपना आदेश वापस ले लिया.

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