Cyberbullying in India: भारत में 85 फीसदी बच्चे होते हैं साइबर बुलिंग का शिकार, कितना सेफ है आपका बच्चा?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 09, 2022, 10:29 PM IST

सांकेतिक तस्वीर

Cyberbullying in India: देश में हर 3 में से एक बच्चे को 10 साल की उम्र तक साइबर नस्लवाद और यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

डीएनए हिंदी: भारत में सेक्टॉर्शन (Sextortion) और साइबर बुलिंग (Cyberbullying) की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. महिलाओं के साथ-साथ छोटे बच्चे भी अब साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं. करीब 85 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें साइबर थ्रेट का सामना करना पड़ा है. वैश्विक तौर पर ऐसे अपराधों की तुलना करें तो भारत में साइबर उत्पीड़न (Cyber Crime) की औसत ज्यादा है. McAfee साइबर बुलिंग ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है. यह रिपोर्ट रविवार को प्रकाशित किया है. 

यह सर्वेक्षण 15 जून से 5 जुलाई के बीच 10 देशों में किया गया है. इस सर्वे को करीब 11,687 माता-पिता और बच्चों से बातचीत कराई गई है. 

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साइबर बुलिंग क्या है?

McAfee के चीफ प्रोडक्ट अधिकारी गगन सिंह के मुताबिक साइबर बुलिंग की घटनाओं में नस्लवाद, ट्रोलिंग, व्यक्तिगत हमले और यौन उत्पीड़न शामिल हैं. McAfee ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'भारत में साइबर बुलिंग खतरनाक स्तर पर है. हर 3 में से 1 बच्चे को 10 साल की ही उम्र में साइबर रेसिज्म, यौन उत्पीड़न और फिजिकल असल्ट से जूझना पड़ता है. साइबर बुलिंग से जूझ रहे देशों में भारत नंबर 1 पर है.'

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भारतीय बच्चे लगभग हर सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा साइबर बुलिंग का शिकार होते हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है, '85 प्रतिशत भारतीय बच्चों ने साइबर धमकी के साथ-साथ किसी और को साइबर धमकी देने की सूचना दी है. यह अंतरराष्ट्रीय औसत से दोगुने से ज्यादा है.'

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देश में कितने बच्चे हो रहे हैं साइबर बुलिंग का शिकार?

रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में दूसरे बच्चों की तुलना में भारत में साइबर बुलिंग के शिकार हुए बच्चों की संख्या ज्यादा है. भारत में यह दर औसतन 70 फीसदी है, वहीं वैश्विक स्तर पर यह दर 45 फीसदी है. 45 प्रतिशत भारतीय बच्चों का कहना है कि वे अपने माता-पिता से साइबर धमकी के अपने अनुभव छुपाते हैं. ऐसा इसलिए है कि उनका अपने अभिभावकों के साथ कम्युनिकेशन में कमी है.

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5 में से लगभग 3 (58 प्रतिशत) बच्चों ने कहा कि उन्होंने साइबर बुलिंग से बचने के लिए एक सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिया है, जबकि वैश्विक औसत 33 प्रतिशत है. साथ ही, 87 फीसदी बच्चों का कहना है कि वे साइबर बुलिंग के बारे में अपने दोस्तों से बात करते हैं.

किन प्लेटफॉर्म्स पर परेशान हो रहे हैं बच्चे?

भारत में साइबर थ्रेट की घटनाएं भी ज्यादा सामने आती हैं. 39 फीसदी लोगों ने शिकायत की है कि झूठी अफवाहें फैलाई जाती हैं. अलग-अलग ग्रुप्स पर उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय बच्चों ने फेसबुक और इंस्टाग्राम से लेकर स्नैपचैट और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भी मुश्किलों का सामना किया है. उन्हें साइबर धमकी दी गई है.

इन देशों में हुआ सर्वे, चौंकाती है ये रिपोर्ट

यह रिपोर्ट 15 जून से 5 जुलाई के बीच किए गए 10 देशों के सर्वे पर आधारित है. जिसमें भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, ब्राजील और मैक्सिको सहित कई देशों से कुल 11,687 बच्चों और पैरेंट्स ने एक ईमेल सर्वे को पूरा किया.

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