दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) को एक बार फिर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सरकार्यवाह चुना गया है. आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने रविवार को दत्तात्रेय होसबाले को फिर से इस पद पर निर्वाचित किया गया. वह 2027 तक आरएसएस के सरकार्यवाह (महासचिव) रहेंगे. फिर से संघ की बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद दत्तात्रेय होसबाले ने अल्पसंख्यकों को लेकर बड़ी बात कही.
दत्तात्रेय होसबाले ने नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सावल का जवाब देते हुए कहा, 'अल्पसंख्यक की जो अवधारणा भारतीय संविधान में है, हमें उसपर पुनर्विचार करने की जरूरत है. क्योंकि अल्पसंख्यक कहने से देश अलग दिखता है. यह देश सभी का है. लेकिन अल्पसंख्यकों को बुलाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है और इसलिए जो लोग खुद को हिंदू कोड के अनुसार हिंदू मानते हैं वो संघ के संपर्क में हैं.'
Dattatreya Hosabale ने किसे बताया अल्पसंख्यक?
उन्होंने कहा, 'भारत में मुसलमानों और ईसाइयों को आम तौर पर अल्पसंख्यक माना जाता है. उनके साथ भी गुरु गोलवलकर जी के समय से सभी सरसंघचालकों ने उनसे संवाद करने का प्रयास किया है. RSS कार्यकर्ताओं के रूप में हमारे पास भी इन समुदायों के लोग हैं. हम उनको शो शो पीस बनाकर दिखाना नहीं चाहते कि हमारे पास इतने मुसलमान और ईसाई हैं. यह आवश्यक नहीं है और हम करना भी नहीं चहाते हैं.'
होसबले ने आगे कहा, 'आरएसएस राष्ट्रीयता के अनुसार सभी को हिंदू मानता है, भले ही वे अलग धर्म का पालन कर रहे हों. यहां तक कि जो लोग खुद को हिंदू नहीं मानते, हम उनसे भी बातचीत करते हैं. केरल में हम ईसाइयों के साथ बैठते हैं. दिल्ली-मुंबई में मुस्लिमों के साथ बातचीत होती है. जब मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि अल्पसंख्यक संघ के करीब आ रहे हैं तो उनका आशय मुसलमानों और ईसाइयों से था. संघ ने अतीत में अल्पसंख्यक राजनीति का विरोध किया है.'
होसबाले तीसरी बार बने RSS सरकार्यवाह
दत्तात्रेय होसबाले 2021 से ही इस पद पर हैं और अब अगले 3 साल के लिए उन्हें फिर से यह जिम्मेदारी दी है. इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह महत्वपूर्ण नियुक्ति है. संघ की ओर से कभी भी सक्रिय चुनाव में हिस्सेदारी नहीं की जाती है, लेकिन संगठन के स्तर पर बीजेपी के लिए यह बहुत बड़ी ताकत है.
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