Delhi AIIMS Server Hack: हैकर्स ने मांगे 200 करोड़ रुपये, यहां पढ़ें देश के अब तक हुए 7 बड़े हैकिंग केस
Delhi AIIMS का सर्वर पिछले 6 दिन से हैकर्स के कब्जे में है.
Delhi AIIMS Cyber Attack: देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पर रैनसमवेयर अटैक का केस केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और CERT-IN की टीम देख रही है.
डीएनए हिंदी: देश की राजधानी दिल्ली में ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट (Delhi AIIMS) का सर्वर हैक करने के 6 दिन बाद आखिरकार हैकर्स ने मंशा जाहिर कर दी है. हैकर्स ने सर्वर रिलीज करने के बदले 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है. हैकर्स यह पैसा भारतीय करेंसी या अमेरिकी डॉलर्स में नहीं बल्कि वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में लेना चाहते हैं ताकि उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके. PTI ने एक सूत्र के हवाले से यह रिपोर्ट दी है. दिल्ली पुलिस और CERT-IN के एक्सपर्ट्स के साथ ही इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) डिविजन ने इस मामले में फिरौती का मुकदमा दर्ज कर लिया है.
फिरौती की इस मांग के बाद दिल्ली एम्स का हैकिंग मामला देश के उन बड़े हैकिंग केस में शामिल हो गया है, जिन्होंने भारतीय बिजनेस को बेहद नुकसान पहुंचाया है. हालांकि इस मामले में दिल्ली पुलिस के पीआरओ अधिकारी ने बताया है कि एम्स दिल्ली में कंप्यूटर मामले में रैनसमवेयर का कोई अटैक नहीं हुआ है और नहीं किसी भी तरह की फिरौती मांगी गई है.
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23 नवंबर को हैक किया गया था दिल्ली एम्स का सर्वर
दिल्ली एम्स का सर्वर 23 नवंबर की सुबह 6.45 मिनट पर हैक किया गया था. सबसे पहले इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर में यह बात पकड़ में आई. इसके बाद धीरे-धीरे अस्पताल के पूरे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम का सर्वर ही रैनसमवेयर अटैक के जरिये हैकर्स ने अपने कब्जे में कर लिया. इसके बाद से सर्वर की सफाई कर उसे हैकर्स के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की जा रही है. एकतरफ दिल्ली पुलिस इस हैकिंग की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ, इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी टीम (CERT-IN) के एक्सपर्ट्स ऑनलाइन तरीके से हैकर्स से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. इन दोनों के ही काम की निगरानी सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय से हो रही है, लेकिन अब तक सर्वर रिलीज नहीं हो पाया है. फिलहाल रोजाना करीब 10,000 मरीजों का इलाज करने वाले इस अस्पताल का प्रबंधन मैनुअली करना पड़ रहा है, जिससे मरीजों को बेहद परेशानी हो रही है.
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3 से 4 करोड़ मरीजों का पर्सनल डाटा खतरे में
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सर्वर में इस सेंध के चलते देश के करीब 3 से 4 करोड़ लोगों का पर्सनल डाटा खतरे में पड़ गया है, जिनका इलाज दिल्ली एम्स से हो चुका है या फिलहाल चल रहा है. इसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों से लेकर नौकरशाहों, मंत्रियों और जजों समेत तमाम VIP का मेडिकल डाटा तक शामिल है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह के पर्सनल डाटा की ब्लैक वेब पर कीमत अरबों रुपये तक हो सकती है.
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अब तक हो चुकी है ये कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक, एक्सपर्ट्स की टीम एम्स के सर्वर को सेनिटाइज करने का काम कर रही है. अब तक 5,000 कंप्यूटर्स में से 1,200 में एंटी वायरस सॉल्यूशंस इंस्टॉल हो चुका है, जबकि 50 में से 20 सर्वर स्कैन किए जा चुके हैं. यह काम 24 घंटे किया जा रहा है.
देश में अब तक के 7 सबसे बड़े साइबर अटैक
SpiceJet सर्वर हैकिंग: इस साल मई महीने में हैकर्स ने स्पाइसजेट एयरलाइंस के सर्वर को निशाना बनाया था. इसके चलते जहां बहुत सारी फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी थी, वहीं दर्जनों फ्लाइट तय शेड्यूल के बजाय देरी से उड़ पाई थीं. हालांकि बाद में स्पाइसजेट प्रबंधन ने सर्वर पर दोबारा कंट्रोल कर लेने का दावा किया था. एक चर्चा यह भी है कि इसके लिए स्पाइसजेट ने हैकर्स को करोड़ों रुपये का भुगतान किया था.
ऑयल इंडिया हैकिंग केस: इसी साल अप्रैल में हैकर्स ने सरकारी तेल कंपनी ऑयल इंडिया (Oil India) के सर्वर को असम (Assam) में निशाना बनाया था. इस केस में नाइजीरिया के एक सर्वर के जरिये रूसी मैलवेयर (Russian Malware) को कंपनी के सर्वर में एंट्री कराने की बात सामने आई थी. कंपनी के अधिकारियों ने बाद में बताया था कि हैकर्स ने 57 करोड़ रुपये की डिमांड की थी. हालांकि अधिकारियों ने यह भी दावा किया था कि कंपनी ने बिना कोई पैसा दिए सर्वर वापस कंट्रोल में कर लिए हैं.
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टेक महिंद्रा हैकिंग: साल 2021 में देश की प्रमुख आईटी कंपनी टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) के 27 सर्वरों पर हैकर्स ने मैलवेयर अटैक किया था. महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Pimpri Chinchwad Smart City project) में हुए इस साइबर हमले से कंपनी को 5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. साथ ही बाद में अपने फायरवॉल को और ज्यादा मजबूत करने के लिए कंपनी ने अलग से 15 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
हल्दीराम भी बना निशाना: देश की प्रमुख फूड कंपनी हल्दीराम (Haldiram) के सर्वरों पर भी अक्टूबर, 2020 में साइबर अटैक किया गया था. हैकर्स ने कंपनी की फाइलों, डाटा और एप्लिकेशंस व सिस्टम्स को मैलवेयर अटैक से अपने कब्जे में ले लिया था. इन्हें रिलीज करने के बदले हैकर्स ने 7.5 लाख अमेरिकी डॉलर की फिरौती मांगी थी. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि हल्दीराम ग्रुप ने यह फिरौती दी थी या नहीं.
इंडियाबुल्स के सर्वर पर हमला: शेयर मार्केट में निवेश से लेकर वित्त सुविधा उपलब्ध कराने तक एक्टिव इंडियाबुल्स समूह (Indiabulls Group) के सर्वर पर भी साइबर अटैक किया गया था. अमेरिकी साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस कंपनी Cyble के मुताबिक, समूह के सर्वर पर एक क्लॉप रैनसमवेयर ऑपरेटर ने अटैक करते हुए उसे अपने कब्जे में ले लिया था. कंपनी का कॉन्फिडेंशियल डाटा सार्वजनिक करने की धमकी देकर हैकर ने फिरौती की मांग की थी. रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है कि कंपनी ने फिरौती दी थी या नहीं.
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आंध्र-तेलंगाना की बिजली कंपनियां शिकार: हैकर्स ने रॉबिनहुड रैनसमवेयर (Robinhood ransomware) के जरिये आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों का नेटवर्क अपने कब्जे में ले लिया था. साल 2019 की इस घटना में हैकर्स ने 6 बिटकॉइन (Bitcoin) की फिरौती मांगी थी, जिनकी उस समय कीमत करीब 24 लाख रुपये थी. इस हमले में हैकर्स के हाथ दोनों राज्यों के करीब 3.5 लाख बिजली उपभोक्ताओं का डाटा लग गया था, जिन्होंने उस समय वेबसाइट क्लिक की थी.
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