दिल्ली के रोहिणी स्थित मानसिक रूप से विकलांगों के लिए बने सरकारी आवास (आशा किरण होम) में बच्चों की मौत को लेकर कई खुलासे हुए हैं. इस मामले में मीडिया से बात करते हुए आशा किरण में काम करने वाली महिला ने बताया कि अब इस आवास के हालात बेहद खराब हो चुके हैं. न तो यहां पर बच्चों की देखभाल की जा रही है, और न ही उनके भविष्य की परवाह है.
काम करने वाली महिला ने बताया सच
आशा किरण होम में काम करने वाली महिला ने बताया कि यहां पर रह रहे बच्चों को अब प्रोपर डाइट भी नहीं मिलती है. 4 साल पहले तक तो बच्चों को सुबह शाम दूध अंडा सब कुछ दिया जाता था, लेकिन अब यह सब पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यहां रह रहे बच्चें अब सिर्फ दाल रोटी पर ही जीवित हैं.
20 से 25 बच्चों को टीबी
महिला ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि इस समय आवास के अंदर करीब 20 से 25 बच्चों को टीबी की बीमारी है. SDM ऑफिस के सूत्रों ने बताया कि शेल्टर होम की क्षमता लगभग 500 है, लेकिन अंदर लगभग 950 लोग हैं. SDM ऑफिस के सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के आधार पर सेंटर के अंदर कोई महामारी की स्थिति नहीं है. हमें ऐसे लोग नहीं मिले, जिनकी मृत्यु बीमारी से संबंधित कारणों से हुई हो. 'शेल्टर होम से केवल 2 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
रिपोर्ट के अनुसार बात करे तो जनवरी 2024 से अब तक आशा किरण होम 14 बच्चों की मौत हुई है. इन मौतों का खुलासा होने के बाद दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने एसीएस राजस्व को पूरे मामले की तुरंत मजिस्ट्रेट से जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.
13 लोगों की मौत
बतादें कि आशा किरण होम में मंदबुद्धि बच्चों और बड़ों को रखा जाता है. लेकिन वर्ष 2023 में जनवरी से जुलाई के बीच ही कुल 13 लोगों की मौत हुई थी. अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर ये मौतें क्यो हो रही हैं. जानकारी से पता चला है कि यहां बच्चों की अच्छे से देखरेख की नहीं की जा रही है.
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