डीएनए हिंदी: कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके नेता जश्न मना रहे थे. खुशी की वजह यह थी कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार मुख्यमंत्री को ही होगा. अब केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है जिसके मुताबिक, दिल्ली में असली बॉस उपराज्यपाल ही होंगे. AAP ने इस पर विरोध जताया है. वहीं, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि अरविंद केजरीवाल सरकार की मनमानियों को रोकने के लिए यह कदम जरूरी है.
अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) होंगे. इस समिति के अध्यक्ष तो मुख्यमंत्री होंगे लेकिन फैसला बहुमत के आधार पर होगा. यही बहुमत के फैसला की वजह से कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के अधिकारों में कटौती होगी.
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अध्यादेश पर क्यों हो रहा है विवाद?
दिल्ली की सरकार और आम आदमी पार्टी का कहना है कि जो अध्यादेश लाया गया है कि वह साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार की है सबसे ऊपर है और उसी के पास ये सारे अधिकार हैं. दरअसल, तीन सदस्यों की समिति में दोनों अधिकारी केंद्र सरकार की ओर से ही नियुक्त किए जाएंगे ऐसे में मुख्यमंत्री हमेशा अल्पमत में ही रहेंगे और उनके न चाहते हुए भी अधिकारियों के ट्रांसफर उनकी पोस्टिंग हो जाएगी.
इस तरह परोक्ष रूप से ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उप-राज्यपाल के ही हाथों में रहेगा. इसी को लेकर AAP विरोध कर रही है. AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार तानाशाही कर रही है और कैसे भी करके दिल्ली पर अपना राज कायम करना चाहती है.
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AAP ने जताई थी आशंका
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने सैकड़ों अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे. हालांकि, उपराज्यपाल ने उनको मंजूरी नहीं दी. इसी को लेकर दिल्ली सरकार के सभी मंत्री एलजी के घर के बाहर धरने पर भी बैठ गए. AAP ने आरोप लगाए थे कि अधिकारियों को कहा जा रहा था कि दिल्ली सरकार के आदेशों को न मानें, कुछ ही घंटों में अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया जाएगा.
आखिर में वही हुआ और केंद्र सरकार ने आदेश जारी करके मुख्यमंत्री के अधिकारों को कम कर दिया और ट्रांसफर-पोस्टिंग की असली चाबी उप-राज्यपाल के हाथों में ही थमा दी.
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