डीएनए हिंदी: राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने नाबालिग बच्ची से यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले की मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने पोक्स एक्ट के तहत दोषी महिला को 10 साल की सजा सुनाई. साथ ही उसपर 16 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. शशि नाम की महिला पर 2016 में एक चार साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था. इस मामले में कोर्ट ने 7 साल बाद फैसला सुनाया है.
एडिशन जस्टिस कुमार रजत ने नाबालिग के साथ हुए इस कृत्य में महिला को दोषी मानते हुए सजा का ऐलान किया. कोर्ट ने महिला को 10 साल के कारवास की सजा सुनाई. अदालत ने महिला को सजा सुनाते समय कहा है कि महिला के इस कृत्य से पीड़िता और उसके माता-पिता को अत्यधिक मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा है, जिसके तहत महिला को पीड़िता के परिजनों को 16 हजार रुपये जुर्माना भी देना होगा.
हालांकि, अदालत ने महिला की कमजोर आर्थिक स्थिति देखते हुए ज्यादा जुर्माना नहीं लगाया. लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसे पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. क्योकि इसे IPC अपराध की तुलना में सबसे उच्च स्तर का कानून माना जाता है.
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सजा देने का कोई निश्चित नियम नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा की सजा देने की कोई तय अवधि या फिर कोई निश्चित नियम नहीं होता है, बल्कि सजा अपराध की गंभीरता, तथ्यों एवं परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति, कैसे इसकी योजना बनाई गई और उसे अंजाम कैसे दिया गया और अपराध का मकसद आदि तथ्यों पर आधारित होता है. अदालत ने कहा, "दंड देने का मूल उद्देश्य अपराधी को केवल सजा देना नहीं बल्कि पीड़ित और समाज को न्याय दिलाना भी है.
बता दें कि आरोपी महिला शशि के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा-6 (गुरुतर प्रवेशन यौन हमला) और IPC की धारा-354 (महिला का शीलभंग करने के मकसद से उस पर हमला करना) के तहत गंभीर धाराओं में मामले दर्ज थे.
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