डीएनए हिंदी: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि पति का दूसरी महिला के साथ रहना गलत नहीं है. कोर्ट में एक लंबे समय से चले आ रहे तलाक के मामले की सुनवाई चल रही थी. इस केस में दंपती साल 2005 से ही अलग रह रहे हैं. महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि तलाक से पहले ही पति किसी और महिला के साथ रह रहा है. इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि तलाक लिए बिना शादी करना अपराध है लेकिन लंबे समय से अलगाव के मामले में पति का दूसरी महिला के साथ रहना अपराध नहीं माना जा सकता है.
दंपती की शादी साल 2003 में हुई थी और दोनों के दो बेटे हैं. हालांकि 2005 से कपल अलग रह रहा है. महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में पति के दूसरी महिला के साथ रहने का मामला उठाया था. दूसरी ओर पति का कहना है कि महिला ने उसके साथ मानसिक क्रूरता की है और अपने भाइयों और रिश्तेदारों से उसकी पिटाई करवाई थी. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में आरोपी पति की दलीलों को स्वीकार किया है.
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तलाक के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट की अहम टिप्पणी
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि लंबे समय से कपल अलग रह रहा है और दोनों में सुलह होने की भी कोई संभावना नहीं दिख रही हैं. ऐसे में पति किसी और महिला के साथ रहने लगे और सुकून के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहे तो इसे क्रूरता नहीं मान सकते हैं. महिला ने पति और ससुराल वालों पर कई और गंभीर आरोप लगाए हैं. महिला का कहना है कि भव्य तरीके से शादी करने के बाद भी ससुराल वालों ने और ज्यादा दहेज की डिमांड की थी.
सास पर लगाया गर्भपात कराने का आरोप
इस केस में महिला ने अपने ससुराल वालों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. महिला ने शिकायत में कहा कि उसके गर्भवती होने पर सास ने एक दवाई खिलाई थी और कहा था कि इससे बेटा होगा जबकि वह दवाई अबॉर्शन की थी. उसने ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना और मानसिक क्रूरता का भी आरोप लगाया है. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में महिला के दावों का खारिज करते हुए कहा कि प्रताड़ना का दावा किया गया था लेकिन एक भी आरोप सिद्ध नहीं हो सका है.
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