Delhi High Court की बैंकिंग सेवा पर बड़ी टिप्पणी, 'वित्तीय अनियमितता की नहीं हो सकती अनदेखी'

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 22, 2022, 11:15 PM IST

Bank अधिकारी की ढुलमुल नीति का जांच में खुलासा हुआ था जिसके चलते उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था.

डीएनए हिंदी: बैंकिंग प्रणाली (Banking Services) भारती अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है और नौकरी के दौरान वित्तीय अनियमितता में लिप्त पाये गये बैंक अधिकारी को बख्शा नहीं जा सकता. उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बैंक अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे बड़ा झटका दिया है. बैंक कर्मचारी पर अनुशासनात्मक जांच में दोषी पाया गया था जिसके चलते उसे बर्खास्त कर दिया गया था.

उच्च न्यायालय ने कहा कि एक बैंककर्मी या अधिकारी को अपने कर्तव्य का पालन पूरे समर्पण, श्रम, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ करना चाहिए, ताकि बैंक के प्रति जनता और जमाकर्ताओं का भरोसा खत्म नहीं हो. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. उच्च न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व सहायक प्रबंधक की याचिका को खारिज कर दिया है. 

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दोषी अधिकारी को वर्ष 2005 के दौरान साढ़े चार लाख रुपये मूल्य की मुद्रा के प्रसंस्करण और श्रेडिंग का काम सौंपा गया था, लेकिन औचक निरीक्षण के दौरान कम पाये गये 50 रुपये और 100 रुपये मूल्य के नोटों को खोज लिया गया. इसके बाद उन्हें अनुशासनात्मक जांच में दोषी पाए जाने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

अब दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा है कि मुझे याचिकाकर्ता की इस दलील में कोई दम नहीं दिखा कि उसे सेवा से बर्खास्त करने का दंड उचित नहीं है. इस केस को अन्य केसों के लिहाज से अहम माना जा रहा है.

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इसने आगे कहा कि एक अधिकारी जो एक बैंक अधिकारी के रूप में अपना कर्तव्य निभाते हुए वित्तीय अनियमितताओं में शामिल पाया जाता है, उसे जांच रिपोर्ट में मामूली उल्लंघन होने पर भी छोड़ा नहीं जा सकता है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा है कि विभागीय जांच में, सबूत का मानक एक आपराधिक मामले का नहीं है, जो कि एक उचित संदेह से परे है, बल्कि परीक्षण केवल संभावनाओं की प्रबलता का है.

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