Pooja Khedkar: 'पूजा खेडकर हिरासत में क्यों रहें?' हाई कोर्ट के सवाल का दिल्ली पुलिस नहीं दे सकी जवाब

Written By आदित्य प्रकाश | Updated: Sep 06, 2024, 01:42 PM IST

Pooja Khedkar

आईएएस ट्रेनी (IAS Trainee) पूजा खेडकर की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र की बर्खास्त आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर रोक को 26 सितंबर तक बढ़ा दिया है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

Pooja Khedkar Case: पूजा खेडकर मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और UPSC के वकीलों को मुश्किल में डाल दिया है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एक बेहद अहम सवाल उठाया कि 'पूजा खेडकर की हिरासत में रखकर ही पूछताछ की आखिर क्या जरूरत है? अदालत बार-बार जानना चाहा कि हिरासत से जांच में किस तरह से मदद मिल सकती है. पुलिस इस सवाल का संतोषजनक (Satisfying) जवाब देने में नाकाम रही.

क्या है मामला ?
आईएएस ट्रेनी (IAS Trainee) पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में कई झूठे नामों और गलत जानकारी का इस्तेमाल किया है. पुलिस का कहना है कि खेडकर ने अपने नाम बदलने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति (Financial Condition) और पारिवारिक पृष्ठभूमि (Family Background) की भी गलत जानकारी दी है. ये सारे आरोप अब एक बड़े फसाद में तब्दील हो चुके हैं.

खेडकर के वकील की दलील
खेडकर के पक्ष में उनके वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत में तर्क दिया है. दलील पेश की गई कि 'अगर खेडकर ने कोई झूठ बोला है, तो इसकी जांच के लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं होनी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'उनकी मेडिकल जांच की जरूरत होगी तो वो AIIMS जाने को भी तैयार हैं.' वहीं, पुलिस ने दावा किया है कि अगर खेडकर बाहर रहीं, तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती हैं और इससे जांच प्रभावित हो सकती है.

दिल्ली पुलिस का खेडकर पर आरोप
दिल्ली पुलिस का कहना है कि 'खेडकर ने अपनी संपत्तियों और पारिवारिक आय के बारे में गलत जानकारी दी है, जबकि उनके पास काफी महंगी गाड़ियां हैं.' उन्होंने दावा किया कि 'पूजा खेडकर ने 2020 तक अपने सभी 9 प्रयासों में सिविल सेवा परीक्षा एक ही नाम से दी और बाद में नाम बदलने के बाद नए Documents का इस्तेमाल किया.'


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Delhi High Court ने पुछे ये सवाल
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि 'जब पुलिस उनके खिलाफ Documents की जांच कर सकती है, तो हिरासत की जरूरत क्यों है? अदालत का मानना है कि जमानत पर रहने के बाद भी जांच जारी रखी जा सकती है, और इसमें कोई रुकावट नहीं आएगी. अदालत ने यह भी कहा कि अगर आरोप गलत साबित होते हैं, तो खेडकर को अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा, और हिरासत की तुरंत जरूरत नहीं दिख रही.'

अब अदालत ने दिल्ली पुलिस और UPSC को और समय दिया है ताकि वे ठोस कारण पेश कर सकें कि पूजा खेडकर की हिरासत क्यों जरूरी है.

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