प्रॉपर्टी के लिए 80 साल की बूढ़ी मां पर ढाया जुल्म, Delhi High Court ने सिखा दिया बेटे-बहू को सबक

Written By अनामिका मिश्रा | Updated: Aug 31, 2024, 09:42 AM IST

मां-बाप जो अपने बच्चों को अपना सब कुछ देने को तैयार रहते हैं. कलयुग में क्या वही मां-बाप बुढ़ापे में अपने बच्चों से सहारे की उम्मीद भी नहीं कर सकते हैं?

मां जो बच्चों को जन्म देती है. मां वो होती है जो आवाज सुनकर ही अपने बच्चों की तकलीफ को महसूस कर लेती है. बचपन से लेकर पाल-पोस कर बड़ा करने के बाद भी एक मां की चिंता कभी खत्म नहीं होती है. लेकिन फिर भी कुछ संतानें ऐसी होती हैं जो लालच में अंधी होकर ये भूल जाती हैं कि जिनसे वो नफरत कर रहे हैं वो और कोई नहीं बल्कि उनकी अपनी मां है. ऐसा ही एक मामला राजधानी दिल्ली का है, जहां बेटा-बहु प्रॉपर्टी के लिए बूढ़ी मां को परेशान करते थे. इस ममाले पर सीनियर सिटिजंस के रहने के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल की आवश्यकता पर बल देते हुए, दिल्ली हाई कोर्ट ने 80 साल की महिला के बेटे, बहू और पोते-पोतियों को उस घर को खाली करने का आदेश दिया है, जहां वे एक साथ रह रहे थे.

क्या है पूरा मामला 
दरअसल, दिल्ली से एक मामला सामने आया है जहां एक बेटे-बहु ने बूढ़ी मां की सेवा करने की जगह उनपर जुलिम ढाए. बुढ़ापे में बच्चे ही मां-बाप का सहारा होते हैं, लेकिन प्रॉपर्टी के लालच में बेटे ने सभी हदें पार कर दीं. महिला ने बेटे और बहू पर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि किया कि उनके पुत्र और पुत्रवधू उन्हें परेशान करते हैं. साथ ही दोनों के बीच वैवाहिक मनमुटाव से भी लगातार असुविधा और तनाव बना रहता है.  


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कोर्ट ने कही ये बात 
याचिकाकर्ता ने ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम’ के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि वो संपत्ति की इकलौती और पंजीकृत स्वामी हैं और उनके बेटे और बहू किसी ने भी उनकी या उनके पति की देखभाल नहीं की.पूरी बात सुनने के का बाद जज ने कहा, ‘ये मामला एक बार-बार होने वाले सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है, जहां वैवाहिक कलह न केवल दंपति के जीवन को बाधित करता है, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों को भी काफी प्रभावित करता है.' कोर्ट ने महिला को परेशान करने वालों को अच्छा सबक सिखाया. जज ने  बेटे, बहू और पोते-पोतियों को उस घर को खाली करने का आदेश दिया है, जहां वे एक साथ रह रहे थे.

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