'शिवलिंग पर बिच्छू' वाले बयान से PM Modi की मानहानि कर फंसे Shashi Tharoor, हाई कोर्ट ने कह दी ये बड़ी बात

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 30, 2024, 03:12 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को मानहानि मामले में कोई राहत नहीं दी है. थरूर के इस बयान से देश-विदेश में रहने वाले शिव भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ वाली कथित टिप्पणी के मामले में शशि थरूर की मुश्किल बढ़ गई है. केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ चल रही मानहानि की कार्यवाही को दिल्ली हाई कोर्ट ने रोकने से मना कर दिया है. जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने थरूर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में कार्यवाही को रद्द करने के लिए कोई भी ठोस दलील नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को 10 सितंबर को पेश होने के लिए कहा है.

क्या था मामला 

बता दें कि साल 2018 में  कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दावा किया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक अनाम नेता ने प्रधानमंत्री की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से कर दी थी. 16 अक्टूबर 2020 को हाई कोर्ट ने थरूर के खिलाफ मानहानि शिकायत में कार्यवाही पर रोक लगाई थी, लेकिन आज इस अंतरिम आदेश को समाप्त कर दिया गया.अदालत ने निर्देश दिया है कि दोनों पक्ष 10 सितंबर को निचली अदालत में पेश हों. न्यायधीश ने अपने आदेश  में कहा था कि कार्यवाही को निरस्त करने का कोई कारण नहीं है. शशि थरूर ने निचली अदालत के 27अप्रैल 2019 के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया था.

भाजपा नेता ने की थी शिकायत

भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दर्ज की गई मानहानि शिकायत के चलते निचली अदालत ने थरूर को आरोपी के रूप में समन किया था.थरूर ने 2 नवंबर 2018 की इस शिकायत को खारिज करने की अपील की थी. बब्बर ने निचली अदालत में थरूर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी,जिसमें उन्होने  कहा था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. अक्टूबर 2018 में थरूर ने कहा था कि आरएसएस के एक अनाम नेता ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना 'शिवलिंग पर बैठे बिच्छू' से की थी.

आहत हुई धार्मिक आस्था 

जून 2019 में थरूर को निचली अदालत ने इस मामले में जमानत दी थी. शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह भगवान शिव के भक्त हैं और आरोपी के बयान ने करोड़ों शिवभक्तों की भावनाओं का अपमान किया,जिससे देश और विदेश में मौजूद सभी शिवभक्तों की भावनाएं आहत हुईं. इस मामले की शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के अंतर्गत दर्ज की गई थी.

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