दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत के मामले में बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति के कारण टैक्स कलेक्शन नहीं होता है, तब ऐसी घटनाएं होना स्वाभाविक है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने कहा कि एक अजीब जांच चल रही है, जिसमें कोचिंग सेंटर के पास से गुजरने वाले कार चालक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई, लेकिन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारियों के खिलाफ नहीं. पीठ ने कहा कि बहुमंजिला इमारतों को संचालित करने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन पानी की उचित निकासी की व्यवस्था नहीं है.
'दिवालिया हो गए, वेतन भी नहीं दे पा रहे'
पीठ ने कहा, ‘आप मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति चाहते हैं, टैक्स नहीं वसूलना चाहते. इसलिए ऐसा तो होना ही है.’ हाईकोर्ट ने प्राधिकारियों पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है, लेकिन वे दिवालिया हो गए हैं और वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं.
हाईकोर्ट 27 जुलाई की शाम को ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक कोचिंग सेंटर की इमारत के 'बेसमेंट' में बारिश का पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
मृतक छात्रों में उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) शामिल थे.
ऑडिट को लेकर मांगी रिपोर्ट
वहीं, दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे नालों से गाद निकालने के काम में शामिल ठेकेदारों को तब तक भुगतान न करें, जब तक उनके काम का तीसरे पक्ष से ऑडिट पूरा नहीं हो जाता. दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के पत्र के जवाब में मुख्य सचिव ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) को विभिन्न एजेंसियों द्वारा नालों से गाद निकालने के काम के तीसरे पक्ष से ऑडिट पर मंत्री द्वारा मांगी गई जानकारी के साथ एक तथ्यात्मक नोट पेश करने का निर्देश दिया गया है.
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