डीएनए हिंदी: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वकील को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराते हुए 6 महीने जेल की सजा सुनाई. इस वकील ने जुलाई 2022 में दायर एक याचिका में उच्च न्यायालय और जिला अदालतों के कई मौजूदा न्यायाधीशों के खिलाफ निंदनीय, अनुचित और निराधार आरोप लगाए गए थे. कोर्ट ने याचिका में लगाए गए अवमाननापूर्ण आरोपों वकील को माफी मांगने का अवसर दिया था, लेकिन वकील ने जब माफी मांगने से इनकार कर दिया तो कोर्ट ने सजा सुना दी.
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान वकील जिला अदालतों के न्यायाधीशों और न्यायपालिका के खिलाफ अपनी टिप्पणियों पर अड़ा रहा. अदालत ने कहा कि चूंकि घृणित आरोप लगाने वाला आरोपी इस अदालत का एक अधिकारी है, इसलिए ऐसे कृत्यों पर दृढ़ता से लगाम लगाना आवश्यक है.
वकील पर 2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा
जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने मंगलवार को पारित एक आदेश में कहा कि परिणामस्वरूप, हम वकील को 2,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह महीने की साधारण कैद की सजा देते हैं. जुर्माना की भुगतान न करने पर वकील को 7 दिनों की साधारण कैद की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई. पीठ ने पुलिस अधिकारियों को वकील को हिरासत में ले लेने और उसे यहां तिहाड़ जेल के अधीक्षक को सौंपने का निर्देश दिया.
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उन्होंने अदालत की रजिस्ट्री से उसकी गिरफ्तारी वारंट तैयार करने को कहा. हालांकि, उच्च न्यायालय ने वकील को अपने घर जाने, कपड़े बदलने, वहां अपना वाहन छोड़ने और जेल में इस्तेमाल के लिए अपनी दवाएं लेने की अनुमति दी और पुलिस अधिकारियों को भी उसके साथ जाने के लिए कहा.
आरोपी वकील ने जुलाई 2022 में एकल पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कई न्यायाधीशों पर मनमर्जी और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में न्यायाधीशों के नाम भी लिए थे. जब एकल पीठ ने वकील से पूछा कि क्या वह इन आरोपों को वापस लेना चाहेंगे, तो उसने नकारात्मक जवाब दिया था और कहा था कि ये अवमाननापूर्ण आरोप नहीं थे, बल्कि तथ्यों पर आधारित बयान थे. (PTI इनपुट के साथ)
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