डीएनए हिंदी: दिल्ली में बिजली सब्सिडी को लेकर एक बार फिर केजरीवाल सरकार और एलजी वीके सक्सेना के बीच टकराव शुरू हो गया है. दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने शुक्रवार आरोप लगाया कि दिल्ली में फ्री बिजली सब्सिडी को बंद किया जा रहा है, क्योंकि उपराज्यपाल ने फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. आतिशी के इन आरोपों के कुछ देर बाद ही एलजी की तरफ से कहा गया है कि फ्री बिजली सब्सिडी वाली फाइल पर साइन कर दिए गए हैं. दिल्ली सरकार के आरोप बेबुनियाद हैं. फाइल साइन हो चुकी है. इसमें मंत्री स्तर पर ही देरी की गई.
उपराज्यपाल दफ्तर ने ऊर्जा मंत्री आतिशी को बेवजह निराधार आरोप ना लगाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की मंत्री गलत बयानों से लोगों को गुमरान कर रही हैं. दिल्ली के सीएम और ऊर्जा मंत्री बताएं कि जब डेडलाइन 15 अप्रैल थी तो उन्होंने फ्री सब्सिडी के बारे में फैसला 4 अप्रैल तक पेंडिंग क्यों रखा? बता दें कि एलजी के दस्तखत करने के बाद अब यह फाइल वापस दिल्ली सरकार के पास जाएगी. दिल्ली अब तय करेगी कि सब्सिडी प्रक्रिया वही रहेगी या फिर से जारी किया जाएगा. मतलब अब फिर से केजरीवाल के पाले में गेंद चली गई है.
LG ने विशेष ऑडिट की दी मंजूरी
एलजी सक्सेना ने 2016-17 से विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को वितरित बिजली सब्सिडी राशि के विशेष ऑडिट के लिए केजरीवाल सरकार को सहमति दे दी है. उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने इसमें अब तक हुई देरी पर “आश्चर्य” व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को भेजे गए एक नोट में सक्सेना ने पिछले 6 साल में डिस्कॉम को दिए गए 13,549 करोड़ रुपये का ऑडिट नहीं करने के चलते सरकार की आलोचना की है. उपराज्यपाल ने अपना रुख दोहराया कि गरीबों को बिजली सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए. उन्होंने यह भी इंगित किया कि डिस्कॉम को दी जा रही राशि की चोरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट किया जाना चाहिए.
अधिकारियों ने कहा कि उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार से डिस्कॉम के सीएजी ऑडिट को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपनी अपील में तेजी लाने के लिए भी कहा है, जो 7 साल से अधिक समय से लंबित है. उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के बीच बिजली सब्सिडी को लेकर खींचतान रही है. दिल्ली सरकार ने सक्सेना पर भाजपा के साथ साजिश के जरिए सब्सिडी रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया.
सक्सेना ने अपने नोट में रेखांकित किया है कि सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) द्वारा सूचीबद्ध लेखा परीक्षकों द्वारा किए गए ऑडिट को सीएजी ऑडिट के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. गरीबों के लिए बिजली सब्सिडी के लिए अपनी सहमति और प्रतिबद्धता को दोहराते हुए सक्सेना ने कहा है कि ऐसी सब्सिडी दिल्ली के लोगों से राजस्व के रूप में एकत्रित सार्वजनिक धन है और यह सुनिश्चित करना सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है कि निहित स्वार्थों के लाभ के बजाय यह लक्षित आबादी तक पहुंचे. (भाषा इनपुट के साथ)
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