Delhi-NCR में 1 जनवरी से बंद हो जाएंगी ये इंडस्ट्रीज, किया ये काम तो लगेगा मोटा जुर्माना

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 29, 2022, 06:36 PM IST

दिल्ली एनसीआर में हर साल करीब 17 लाख टन कोयले का इस्तेमाल किया जाता है. इसका करीब 75 प्रतिशत यानी 14 लाख टन एनसीआर से सटे 6 जिलों में होता है.

डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR Pollution) में तेजी से बढ़ते वायू प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार सख्त हो गई है. केंद्र ने बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच दिल्ली-एनसीआर में कोयले समेत प्रतिबंधित ईंधन के  इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्रीज को 1 जनवरी से सीधे बंद करने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद भी अगर कोई इंडस्ट्री चलती है तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. 

दरअसल, दिल्ली एनसीआर में दिन प्रतिदिन वायू प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. इसकी एक वजह दिल्ली एनसीआर में चल रही कुछ इंडस्ट्रीज द्वारा प्रतिबंधित ईधन का जमकर इस्तेमाल करना है. यहां से निकलने वाला धुआं हवा और जहरीला बना रहा है. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटियों को बिना कारण बताओं नोटिस देकर एनसीआर में कोयले समेत दूसरे प्रतिबंधित ईंधनों का इस्तेमाल करने वाली फैक्ट्रियों को बंद कराने का निर्देश दिया है". साथ ही एक जनवरी तक किसी भी रूप में प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज को बंद करने का लक्ष्य रख है. एक जनवरी के बाद भी कोयला इस्तेमाल कर कोई भी फैक्ट्री काम करती दिखेगी. उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि कुछ इंडस्ट्रीज में सरकार ने कोयले के इस्तेमाल की अनुमति दी है. 

लकड़ी का चारकोल के इस्तेमाल पर अनुमति 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, कैप्टिव थर्मल पावर प्लांट्स में लो-सल्फर कोयले के उपयोग की अनुमति है. इसके अलावा कोयले का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में किया जा सकता है". जलाऊ लकड़ी और बायोमास ब्रिकेट का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों और दाह संस्कार के लिए अनुूमति दी गई है. वहीं होटल, रेस्तरां और बैक्वेट हॉल में बांस के चारकोल का इस्तेमाल किया जा सकता है. अधिकारियों ने एक बयान में कहा कि कपड़े की इस्त्री के लिए लकड़ी के चारकोल के इस्तेमाल पर छूट है.  

दिल्ली एनसीआर में 1.7 मिलियन टन कोयले का किया जाता है इस्तेमाल

आंकड़ों की मानें तो दिल्ली एनसीआर में सालाना 1.7 मिलियन टन कोयले का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है. लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है. इसी को देखते हुए सरकार ने कोयले से चलने वाली इंडस्ट्रीज पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है. इसके साथ ही वायु प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए दिल्ली एनसीआर के विशेषज्ञ और आम जनता से सुझाव भी मांगे हैं.

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