डीएनए हिंदी: बीते कुछ महीनों में दिल्ली में कई बार बुलडोजर चले थे और अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा था. इस मामले पर खूब विवाद भी हुआ था. अब केंद्र सरकार एक ऐसा विधेयक लेकर आई है जिसके तहत 2026 तक इन कॉलोनियों और इनमें बने घरों को नहीं तोड़ा जाएगा. संसद के दोनों सदनों ने दिल्ली नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉ (स्पेशल प्रोविजन) सेकेंड अमेंडमेंट बिल 2023 को मंजूरी दी है. इसी के तहत दिल्ली में बनी अनाधिकृत कॉलोनियों और मकानों को ढहाने की कार्रवाई की अवधि 2026 तक बढ़ा दी गई है. यानी अगले तीन साल तक इन घरों नहीं गिराया जाएगा.
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बिल पर चर्चा करते हुए कहा, 'दिल्ली में जहां झुग्गी है, वहां पर केंद्र सरकार मकान योजना को लेकर काम कर रही है.' बता दें कि अनाधिकृत कॉलोनियां दिल्ली के लिए लंबे समय से समस्या बनी हुई हैं. हजारों लोगों के बसे होने की वजह से इनको हटाए जाने पर मानवाधिकार का मुद्दा भी सामने आ जाता है.
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कई बार लगाई गई है रोक
दरअसल, 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद दिल्ली नगर निगम ने अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने दिल्ली लॉ (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2006 पास करके इन कॉलोनियों पर होने वाली कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. इसके बाद इसमें फिर संशोधन हुआ और इसे 2011 तक के लिए बढ़ा दिया. इसी तरह इसे अब 2026 तक बढ़ा दिया गया है.
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विधेयक के मुताबिक, 1 जून 2014 तक हुए सभी अनाधिकृत निर्माण सुरक्षित रहेंगे और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. हालांकि, इन्हें मालिकाना हक देने या कॉलोनियों को वैध करार देने में समय लगेगा. इस बारे में हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि मालिकाना हक देने का जो काम 2019 में शुरू हुआ था, कोरोना महामारी के कारण उसमें देरी हुआ है. बता दें कि दिल्ली में लगभग 40 से 50 लाख लोग अनाधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं यानी लगभग 10 लाख परिवार मालिकाना हक के पात्र हो सकते हैं.
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