केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस एक्शन मोड़ में नजर आ रही है. अब तक 3 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जबकि 30 से ज्यादा नेताओं को नोटिस भेजा गया है. शाह के एडिटेड फर्जी वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में पुलिस ने झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर को तलब किया है. उन्हें 2 मई को सुबह 0.30 बजे दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने को कहा है.
पुलिस ने राजेश ठाकुर को अपना मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण साथ लाने को कहा गया है, जिसका कथित इस्तेमाल 'एक्स' पर फर्जी वीडियो शेयर करने में किया गया. इधर, भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी केंद्रीय गृह मंत्री का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में रांची के अरगोड़ा थाने में दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें शैलेंद्र हाजरा और रूपेश रजक शामिल हैं.
पुलिस ने इन तीन लोगों को किया गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 30 अप्रैल को अहमदाबाद से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी के PA और आम आदमी पार्टी के एक कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया था. उससे पहले 29 अप्रैल को असम से एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस इस मामले में लगातार
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Delhi Police के सामने पेश हुईं रेवंत रेड्डी की वकील
वहीं, इस मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की वकील बुधवार को दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ शाखा के समक्ष पेश हुईं और मुख्यमंत्री को पेश होने के लिए और समय देने का अनुरोध किया. पुलिस ने रेड्डी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 4 अन्य सदस्यों के खिलाफ सोमवार को समन जारी किया था. समन में उनसे 1 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर जांच से जुड़ने के लिए कहा गया था. एक अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि विशेष प्रकोष्ठ की शाखा इंटेलिजेंस फ्यूजन और स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) के समक्ष पेश होने के लिए रेड्डी ने और समय देने की मांग की थी.
रेवंत रेड्डी की वकील सौम्या गुप्ता ने मीडिया को बताया कि जिस हैंडल से वीडियो साझा किया गया वह हैंडल रेड्डी का नहीं है.दिल्ली पुलिस ने रेड्डी और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के चार अन्य सदस्यों शिवकुमार अंबाला, असमा तसलीम, सतीश माने और नवीन पीतम को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)की धारा 91 और 160 के तहत समन जारी किया था. भारतीय कानून के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 160/91 के तहत नोटिस दिया जाता है, तो वह व्यक्ति या जांच अधिकारी के सामने स्वयं उपस्थित हो सकता है या कानूनी प्रतिनिधि भेज सकता है.
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