DNA TV Show: दिल्ली की जहरीली हवा के लिए पटाखे हैं वजह, समझें क्यों बढ़ा प्रदूषण

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 14, 2023, 12:29 AM IST

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Delhi Pollution Crackers Ban: दिल्ली-एनसीआर में दिवाली की अगली ही सुबह प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. क्या दिल्ली में प्रदूषण के लिए सिर्फ पटाखे जिम्मेदार हैं? DNA TV Show में इस पर डिटेल चर्चा हुई. 

डीएनए हिंदी: पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद पूरे दिल्ली एनसीआर में दिवाली पर पटाखे जलाए गए. कोरोना महामारी के बाद ये पहली दीपावली थी जिसमें लोगों ने बिना डरे, दिवाली मना सके. पटाखे जलाना भी इसी का एक हिस्सा माना जा सकता है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह से पटाखों पर प्रतिबंध था. माना जा रहा था कि नवंबर महीने के शुरुआत में जो एक्यूआई था उसमें अगर पटाखों का धुआं भी शामिल हो गया, तो दिल्ली में सांस लेना दूभर हो जाएगा. प्रदूषण को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई के बीच, बारिश और हवाओं की वजह से कुदरती रूप से प्रदूषण कम हो गया था. दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में एक्यूआई 100 के करीब आ गया था. दीपावली के बाद अब एक बार फिर से दिल्ली एनसीआर में AQI 300 के करीब पहुंच गया है.

दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. यानी ये फिर से गंभीर की श्रेणी में आ गया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स जिसे AQI कहा जाता है उसे हवा की गुणवत्ता मापने वाले मीटर से मापा जाता है. 24 घंटे के अंदर हवा गुणवत्ता कैसी रही है मीटर यही बताता है.

AQI के आधार पर समझें हवा की गुणवत्ता 
0-50 के बीच हो तो इसका मतलब है कि हवा साफ है.
अगर AQI 51-100 के बीच हो तो इसे खराब कहा जाता है.
AQI 101-200 के बीच हो तो इसे बहुत खराब कहा जाता है.
AQI 201 से 300 के बीच हो तो इसे गंभीर की श्रेणी में डाला जाता है.
AQI 301-400 के बीच हो तो इसे खतरनाक माना जाता है.
वहीं अगर AQI 401-500 हो तो इसे बहुत खतरनाक माना जाता है.

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यानी AQI 200 से ज्यादा हो तो हवा की गुणवत्ता खराब से खतरनाक होती जाती है. हम ये आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हवा की गुणवत्ता को लेकर दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बावजूद पटाखे जलाए गए जिससे हवा की गुणवत्ता दीपावली के पहले जितनी थी. दिवाली के अगले दिन उसमें अचानक उछाल आ गया. दिवाली स पहले और बाद में दिल्ली का ऐसा रहा एक्यूआई...
दिवाली से पहले दिल्ली का AQI 220 था.
दिवाली के बाद दिल्ली का AQI 358 हो गया.
यानी इसमें तेजी से उछाल देखा गया। और इसकी वजह पटाखों को बताया गया है.
हम आपको कुछ इलाकों के AQI बताना चाहते हैं जैसे, गाजियाबाद में दिवाली से पहले AQI 167 था जो अगले दिन बढ़कर 329 हो गया.
नोएडा में दिवाली से पहले AQI 130 था, जो दिवाली के बाद बढ़कर 363 हो गया.
इसी तरह से गुरुग्राम में दिवाली से पहले AQI 199 था, जो दिवाली के बाद बढ़कर 370 हो गया.

दिवाली के बाद बिगड़ी है दिल्ली-एनसीआर की हवा 
दिवाली के बाद दिल्ली एनसीआर में हवा की गुणवत्ता का हाल खराब था। दिवाली पर जलाए गए पटाखों का धुआं, इस प्रदूषण को और ज्यादा खतरनाक बना रही थी. अब हम आपको दिल्ली-एनसीआर में दिवाली से पहले और उसके तुरंत बाद आए परिवर्तन पर एक रिपोर्ट दिखाते हैं. दीपावली के बाद AQI में आए अचानक उछाल के लिए पटाखों को दोषी बताया गया है. इसमें दिल्ली सरकार बढ़े हुए AQI के लिए यूपी और हरियाणा को दोषी बता रही है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक, दिल्ली से लगते यूपी और हरियाणा में बड़ी मात्रा में पटाखे जलाए गए हैं. इस वजह से दिल्ली एनसीआर में AQI में तेजी से इजाफा हुआ है.

दिल्ली सरकार ने पटाखों के लिए भी पड़ोसी राज्यों को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली सरकार की मानें तो दिल्ली में जलने वाले पटाखे भी यूपी और हरियाणा से आए हैं. यानी वो एक तरह से ये कहना चाह रहे हैं कि वो दिल्ली में पटाखे जलने से नहीं रोक पाए. दरअसल दिल्ली-एनसीआर में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध है. इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर में पटाखे जलाए गए हैं. देखा जाए तो ये सरकारी नाकामी भी है कि प्रतिबंध को लागू नहीं कर पाए. दिल्ली सरकार ने पटाखों को लेकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. यही नहीं आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में अगर प्रदूषण की स्थिति खराब हुई, तो उसके लिए भी किसी और को जिम्मेदार बताने की पूरी तैयारी की जा चुकी है. 

दिल्ली में प्रदूषण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई फटकार 
दिवाली से पहले प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार आम जनता के ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के भी निशाने पर थी. पंजाब, हरियाणा में जलने वाले पराली का असर अक्टूबर बीतते-बीतते अपने चरम पर पहुंचने लगा था। हालात ये थे कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते और नवंबर के शुरुआत दिनों में दिल्ली के कुछ इलाकों का AQI 999 के पार पहुंच गया था. यानी ये उन दिनों की बात है जब दिवाली के पटाखों का नामोनिशान नहीं था. ये उन दिनों की बात है  जब दिल्ली सरकार, प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में GRAP-4 के नियमों को लागू करने को अपनी उपलब्धि बता रही थी. यही नहीं ऑड-ईवन के फायदे गिना रही थी. गनीमत ये थी कि दिवाली से पहले 9 और 10 नवंबर को बारिश और तेज हवाओं की वजह से दिल्ली-एनसीआर का AQI 300 के नीचे आ गया था, नहीं तो हालात और ज्यादा बुरे होते.

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राजनीति में मौके का लाभ उठाना सबसे बड़ी कला है. दिवाली से पहले प्रदूषण को लेकर पराली जलाने, डीजल वाले ट्रकों की आवाजाही को बड़ी वजह माना जा रहा था. दिल्ली सरकार भी इसी दिशा में काम करके व्यस्त दिख रही थी. हालांकि, दिवाली में पटाखों के जलने के बाद प्रदूषण का ठीकरा किसी और पर फोड़ने का मौका मिल गया है. पटाखों पर पिछले कुछ वर्षों में प्रतिबंधों की बात की जाती रही है. उसके बावजूद पटाखे जलाए जाने में कोई खास कमी नहीं आई है. चाहे सरकार की सख्ती हो या फिर कोर्ट का आदेश दिवाली मनाने वालों ने इस पर कोई अमल नहीं किया है। लेकिन क्या पटाखे ही दिल्ली के प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह हैं. इसको लेकर हम आपको कुछ बताना चाहते हैं.

अब देखें दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर
दिवाली 12 तारीख यानी रविवार को थी. दिवाली के अगले दिन दिल्ली का AQI 358 है. क्या आपको मालूम है कि दिवाली से 9 दिन पहले यानी 3 नवंबर को दिल्ली का AQI 468 था. क्या वो पटाखों की वजह से था? इसी तरह से दिल्ली में 4, 5 और 6 नवंबर को AQI 415 से लेकर 454 तक था या इस दौरान भी पटाखे जलाए गए थे. केवल दिल्ली ही नहीं नोएडा में भी 3 नवंबर से लेकर 6 नवंबर तक AQI 384 से लेकर 440 तक था. गाजियाबाद में 3 नवंबर से 6 नवंबर के बीच AQI 391 से लेकर 410 तक था. गुरुग्राम में 3 नवंबर से 6 नवंबर के बीच AQI 367 से 404 तक था.

दिवाली से पहले ही दिल्ली में था प्रदूषण का बुरा हाल
आप देख सकते हैं कि दिवाली से कई दिन पहले तक दिल्ली-एनसीआर में इतना प्रदूषण था जो दिवाली के अगले दिन के AQI से भी कहीं ज्यादा है. इससे पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह केवल पटाखे नहीं हैं. अगर कोई ये कहता है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह केवल पटाखे हैं, तो उन्हें हर साल अक्टूबर- नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में आकर रहना चाहिए. उन्हें पता चल जाएगा कि दिवाली से पहले पराली का धुआं, दिल्लीवालों की सांसें अटका देता है. पराली के धुंए पर दबे पांव चलने वाले दिवाली के बाद प्रदूषण पर सीना चौड़ा करके आरोप-प्रत्यारोप में जुट जाते हैं.

जिन लोगों पर प्रदूषण रोकने के लेकर मजबूत प्लानिंग की जिम्मेदारी होती है, वो लोग AQI 300 से 900 तक बढ़ते देखते रहते हैं. फिर सुप्रीम कोर्ट के डांट फटकार के बाद कार्रवाई की एक्टिंग करने लगते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को लेकर अपनी सुनवाई में भी इस बात पर जोर दिया था कि हमेशा कोर्ट की एंट्री के बाद ही राज्य सरकारें क्यों जागती हैं. यही नहीं कुछ वर्ष पहले तक जो दिल्ली सरकार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने को दिल्ली के प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बताती थी वही अब हरियाणा और यूपी को पटाखे जलाकर प्रदूषण फैलाने का दोषी बता रही है. हकीकत में दिवाली के कई हफ्ते पहले से ही दिल्ली का AQI खतरनाक स्तर को पार कर गया था.

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