दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में भी पास, मोदी सरकार पक्ष में 131 तो विरोध में पड़े 102 वोट

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 07, 2023, 10:46 PM IST

amit shah

Delhi Service Bill: दिल्ली सेवा बिल पर राज्यसभा में 7 घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. इस दौरान INDIA गठबंधन ने जोरदार विरोध किया.

डीएनए हिंदी: राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल आखिरकार लंबी बहस के बाद पारित हो गया. इस बिल के लिए मोदी सरकार के पक्ष में 131, जबकि खिलाफ में 102 वोट पड़े. इससे पहले दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023 लोकसभा में पास हुआ था. गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को राज्यसभा में पेश किया. यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा. 

राज्यसभा में 7 घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस संबंध में पहले लागू अध्यादेश को अस्वीकार करने के कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के सांविधिक संकल्प को नामंजूर कर दिया. इसके साथ विपक्ष द्वारा पेश संशोधनों को भी नामंजूर कर दिया. चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले एवं तैनाती से जुड़े अध्यादेश के स्थान पर लाए गए विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के हितों को हथियाना नहीं.

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दिल्ली सीमित अधिकार वाला केंद्र शासित
अमित शाह ने कहा है कि विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में ‘भ्रष्टाचार विहीन और लोकाभिमुख शासन है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में जो व्यवस्था थी, उसमें इस विधेयक के माध्यम से किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली कई मायनों में सभी राज्यों से अलग प्रदेश है क्योंकि यहां संसद, कई संस्थाएं, उच्चतम न्यायालय हैं. वहीं कई राष्ट्राध्यक्ष यहां चर्चा करने आते हैं, इसीलिए इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. उन्होंने कहा कि यह विधानसभा के साथ सीमित अधिकार वाला केंद्र शासित प्रदेश है.

बता दें कि विधेयक के उद्देश्य और कारणों में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 239 (क) के उपबंधों के आशय और प्रयोजन को प्रभावी बनाने की दृष्टि से स्थानांतरण, तैनाती और सतर्कता और अन्य मुद्दों से संबंधित विषयों पर उपराज्यपाल को सिफारिश करने के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह विभाग के प्रधान सचिव के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक स्थाई प्राधिकरण का गठन करने की बात है.

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गृहमंत्री ने कहा कि 1991 से 2015 तक दिल्ली में विभिन्न दलों की सरकारें रहीं और इस दौरान अधिकारियों के तबादले और प्रमोशन इसी तरह होते रहे. उन्होंने कहा कि उस दौरान केंद्र एवं राज्य में कभी भाजपा की सरकार थी और कभी कांग्रेस की किंतु कभी इनके बीच टकराव नहीं हुआ. उन्होंने इस आरोप को गलत बताया कि केंद्र सरकार अपने हाथ में पावर लेना चाहती है. उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है, उन्हें पावर दी है. शब्दकोश के बड़े बड़े अंग्रेजी शब्द कह देने से सत्य नहीं बदल जाएगा. शाह ने कहा कि दिल्ली में अराजकता फैलाने का काम शुरू हो गया है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का उल्लेख किया जिसमें सेवाओं के मामले में दिल्ली सरकार का अधिकार माना गया.

गृह मंत्री ने कहा कि संविधान के तहत दिल्ली के किसी भी विषय में कानून बनाने का संसद को अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा कि संसद को दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित किसी भी कानून को संशोधित करने या निरस्त करने का अधिकार दिया है. शाह ने कहा कि यह संविधान संशोधन उनकी सरकार नहीं कांग्रेस सरकार लेकर आई थी. कांग्रेस आम आदमी पार्टी को संतुष्ट करने के लिए अपने ही लाए गए कानून का आज विरोध कर रहे हैं. शाह ने कहा कि अदालत के फैसले की अवमानना तब होती है जब अदालत ने स्थगनादेश दिया हो. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली के बारे में संसद कानून बना सकती है. अदालत के फैसलों को बदलने के लिए कई बार संविधान में संशोधन किए गए हैं. हम इमर्जेंसी लगाने के लिए संविधान में संशोधन लेकर नहीं आए हैं.

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