दिल्ली में जल संकट (Delhi Water Crisis) की वजह से आपात स्थिति बनी हुई है. एक तरफ जनता बूंद-बूंद पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है, वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर जमकर राजनीति हो रही है. सभी सियासी पार्टियां एक-दूसरे को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रही हैं. एक की तरफ से मटका फोड़ प्रदर्शन होता है तो दूसरे की तरफ से भूख तड़ताल किया जा रहा है. इन सबके बीच अगर कोई पिस रहा है तो वो है दिल्ली की आम जनता, जो आज इस चिलचिलाती धूप में घंटों टैंकर का इंतजार कर रही है. आपको बताते चलें कि पानी की किल्लत को लेकर आप (AAP) नेता और जल मंत्री आतिशी (Atishi) अनिश्चितकालीन अनशन (Strike) जारी है. इस अनसन का आज दूसरा दिन है. उनकी मांग है कि हरियाणा (Haryana) की बीजेपी (BJP) सरकार की तरफ से दिल्ली को अतिरिक्त पानी दिया जाए. इन सब सियासी संग्राम के बीच आज हम समझते हैं कि आखिर इस समस्या की मूल जड़ है क्या?
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बड़ी तीव्र गति से भूजल का इस्तेमाल
दिल्ली के जल कोटे में मांग के हिसाब से बाहरी आमद की कमी देखी गई है. इसकी वजह से दिल्ली जल बोर्ड (DJB) पिछले पांच सालों में में भूजल के दोहन में लगातार वृद्धि कर रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भूजल का दोहन 2020 में 86 मिलियन गैलन प्रति दिन (MGD) से बढ़कर 2024 में लगभग 135 MGD हो चुका है. डीजेबी सूत्रों के मुताबिक जल बोर्ड की तरफ से दिल्ली की बढ़ती पानी की मांग को पूरा करने के लिए 135 MGD की मौजूदा निकासी के अलावा 23.45 MGD अतिरिक्त भूजल निकालने के लिए 1,034 ट्यूबवेल जोड़ने की योजना बनाई गई है. इसका नतीजा खराब गुणवत्ता वाला पानी, भूजल स्तर में तेजी से आ रही कमी और भविष्य में पानी की आपूर्ति को लेकर शून्य की स्थिति की ओर जाना है.
अन्य प्रमुख कारक
यमुना में अमोनिया का उच्च स्तर लंबे समय से दिल्ली में खराब जल आपूर्ति की बड़ी वजहों में से एक है. यमुना के पानी में अमोनिया का स्तर 2.5 पार्ट प्रति मिलियन से ज्यादा है. अमोनिया के स्तर लगातार बढ़ रहा है, इसके बढ़ने से अक्सर वजीराबाद और चंद्रावल जल उपचार संयंत्रों के जल उत्पादन में 50 फिसदी तक की कमी आती है. साथ ही जलवायु परिवर्तन भी दिल्ली जल संकट के प्रमुख कारकों में से एक है. पिछले कुछ सालों से लगातार बारिश में आ रही कमी और बढ़ती गर्मी की वजह से भी पानी की किल्लत होती है. पिछले साल यानी कि जून 2023 में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था.
जलवायु परिवर्त की वजह से दिल्ली को 2050 तक 2.75 ट्रिलियन रुपये का आर्थिक नुकसान होने की आशंका है. अंतर्राज्यीय जल विवाद भी दिल्ली जल संकट का एक बड़ा कारण है. दिल्ली सरकार का अपने पड़ोसी राज्यों को लेकर एक मजबूत पॉलिसी का अभाव है, इनमें खासकर हरियाणा, हिमाचल और यूपी शामिल हैं. के साथ जल बंटवारे को लेकर
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