Indore girls demand beardless boyfriend: 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है/देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है', बिस्मिल अज़ीमाबादी का ये शेर तो सभी ने सुना होगा लेकिन 'Beardless boyfriend की तमन्ना अब हमारे दिल में है' ये शायद किसी ने नहीं सुना होगा. ये बीयर्डलेस बॉयफ्रेंड वाली बात शेर का मोडिफाइड वर्जन है. दरअसल इन दिनों सोशल मीडिया पर इंदौर की लड़कियों का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे पुरुषों को दाढ़ी रखने से मना कर रही हैं. मतलब 'No Clean Shave, No Love' और दाढ़ी रखो या गर्लफ्रेंड रखो, Choice तुम्हारी.' जैसे नारे लगा रही हैं.
वायरल वीडियो में लड़कियां अपने चेहरे पर सांकेतिक तौर पर दाढ़ी लगाए हुए हैं. लड़कियों के हाथ में बैनर हैं, पोस्टर हैं. उन पर लिखा है - Beard Hatao pyaar bachao, Beard hatao या गर्लफ्रेंड भूल जाओ. लड़कियों के इस प्रदर्शन को जो भी देख रहा है या वायरल वीडियो देख रहा है तो सन्न रह जा रहा है. यूजर्स मजे ले रहे हैं और देखने वाले हैरान हैं. हालांकि, अभी तक यह समझ नहीं आ पाया है आखिर इस रैली को निकालने का मकसद क्या है. क्या ये सिर्फ वायरल होने के लिए किया जा रहा है, क्यो कोई रील स्टंट या प्रमोशनल इवेंट. अभी इसकी परतें खुलना बाकी है. ट्वीटर पर @gharkekalesh नाम के यूजर ने इस वीडियो को शेयर किया है. इस वीडियो को लाखों व्यूज मिल चुके हैं. वहीं कुछ यूजर्स का कहना है कि दाढ़ी से दिक्कत क्या है. एक अन्य ने लिखा- इनके घर वाले ये देखकर इनकी कुटाई क्यों नहीं करते?
क्या दाढ़ी सिर्फ हंसी-मजाक की बात, समझें
भोपाल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि इंदौर में लड़कियों द्वारा 'beardless boyfriend' की अपील एक अलग प्रकार की सौंदर्य धारणा को उजागर करती है. यह इस बात को इंगित करती है कि हर व्यक्ति के आकर्षण के मानक अलग होते हैं और यह अपेक्षाएं समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों के खिलाफ भी जा सकती हैं. इस तरह के दृष्टिकोण व्यक्तिगत पसंद की स्वतंत्रता और बाहरी दबावों से मुक्त होने की इच्छा को भी दर्शाते हैं.
इस परिप्रेक्ष्य में, यह घटना सामाजिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के बीच संघर्ष को दर्शाती है, जहां एक ओर समाज दाढ़ी को मर्दानगी का प्रतीक मानता है. वहीं, व्यक्तिगत पसंद में विविधता बनी रहती है, जिसमें क्लीन शेव लुक को आकर्षक और स्वीकार्य माना जा सकता है. मनोवैज्ञानिक रूप से, यह सौंदर्य मानकों पर सामाजिक प्रभाव और व्यक्तिगत स्वायत्तता के बीच चल रहे संतुलन का एक उदाहरण है, जो हर व्यक्ति के आत्म-अभिव्यक्ति के अधिकार की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
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