Bihar: नीतीश से लगाव के बावजूद NDA नहीं छोड़ सकते तीनों LJP सांसद, दलबदल कानून ने पलटा खेल

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 13, 2022, 09:29 PM IST

जेडीए नेता ललन सिंह इस समय एनडीए तोड़ो अभियान चला रहे हैं लेकिन वे चाहते हुए भी लोकजनशक्ति पार्टी को नहीं तोड़ सकते हैं क्योंकि यहां दल-बदल कानून का खेल सामने आ गया है.

डीएनए हिंदी: बिहार में राजनीतिक उठा-पटक के बाद खबरें आने लगीं कि पशुपति पारस गुट के तीन लोकसभा सांसद एनडीए छोड़कर महागंठबंधन में शामिल होना चाहते हैं. जानकारी के मुताबिक ये तीनों जेडीयू की सदस्यता लेने की फिराक में थे लेकिन वे ऐसा कुछ नहीं कर सके क्योंकि यदि वे ऐसा  करेंगे तो दलबदल कानून का डंडा चल सकता है और वे भी ये जानते हैं., इसका नतीजा यह हुआ कि सुबह उड़ी खबर शाम तक हवा हो गई . 

दरअसल, शनिवार को खबर उड़ी कि पशुपति पारस गुट के तीन लोजपा सांसद महबूब अली कैसर, वीणा देवी और चंदन सिंह एलजेपी और एनडीए छोड़कर महागठबंधन के पाले में आ सकते हैं. जानकारी के मुताबिक ये तीनों नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल होने की प्लानिंग कर रहे थे. खास बात यह है कि नीतीश लंबे वक्त से लोजपा को तोड़ने की फिराक में थे. ऐसे में यह लोजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता था.

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फेल हो गई सारी प्लानिंग

वहीं शाम होते-होते यह सुबह की खबर हवा हो गई क्योंकि वीणा देवी और चंदन सिंह का बयान आ गया कि वे लोग एनडीए में थे, एनडीए में हैं और एनडीए में ही रहेंगे. माना जा रहा है कि जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के ऑपरेशन एनडीए में दलबदल कानून आड़े आ गया है क्योंकि छह सांसदों वाली लोजपा को तोड़ने के लिए चार सांसद की जरूरत होगी. 

4 सांसदों की आवश्यकता 

लोजपा में इस समय आंतरिक तौर पर टकराव की स्थिति है. जनता के बीच भले ही पशुपति पारस और चिराग पासवान की लोजपा अलग-अलग हो लेकिन लोकसभा के रिकॉर्ड में दोनों एक ही हैं. ऐसे में लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के 6 सांसद हैं जिसमें पारस गुट के 5 सांसदों के साथ-साथ चिराग भी शामिल हैं. यदि दलबदल कानून से बचना है तो सांसदों की संख्या 4 होनी चाहिए और इस मोर्चे पर ये तीनों सांसद मात खा गए. 

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नीतीश का क्या है कनेक्शन

गौरतलब है कि लोजपा ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले ताल ठोकी थी. उस दौरान पार्टी को तो कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन यह माना जा रहा था कि लोजपा के चलते ही नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू तीसरे नंबर पर खिसक गई. इसके बाद से ही नीतीश लोजपा और चिराग पासवान से अपना बदला लेने की फिराक में थे. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि चिराग और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के बीच पार्टी को लेकर जो टकराव हुआ है उसकी एक अहम कड़ी भी नीतीश कुमार ही हैं.

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