प्रवर्तन निदेशालय (ED) डिजिटल अरेस्ट को लेकर ऐक्शन मोड में है. ईडी ने शनिवार को डिजिटल अरेस्ट के एक मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है. साथ ही रविवार को I4C ने एक नई एडवाइजरी जारी की है. एजेंसी की यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से 'मन की बात' रेडियो संबोधन में नागरिकों को ऐसे घोटालों के बारे में चेतावनी देने के एक सप्ताह बाद हुई है.
8 लोगों के गिरोह का भंडाफोड़
एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी ने कई पुलिस FIR की स्टडी करने के बाद एक मामला दर्ज किया और 10 अक्टूबर की चार्जशीट में नामजद आठ लोगों को गिरफ्तार किया. ईडी ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि उसने पिछले महीने बेंगलुरु में एक विशेष धन शोध निवारण अधियनियम (PMLA) अदालत के समक्ष 8 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की है. इसमें कथित धोखेबाजी वाले ऐप के माध्यम से फर्जी आईपीओ आवंटन और शेयर बाजार में निवेश के माध्यम से आम लोगों को लुभाने का आरोप है.
आरोपियों में चरण राज सी, किरण एस के, शाही कुमार एम, सचिन एम, तमिलारासन, प्रकाश आर, अजीत आर और अरविंदन शामिल हैं. आरोपियों ने 24 संबंधित शेल कंपनियां (शेल कंपनियां, वे कंपनियां होती हैं जिनका अस्तित्व सिर्फ कागजों पर होता है और ये कोई आधिकारिक कारोबार नहीं करतीं) भी चलाईं, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया. सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं.
₹159 करोड़ की ठगी से जुड़ा मामला
यह मामला देश भर के पीड़ितों से ₹159 करोड़ की ठगी करने के लिए किए गए विभिन्न डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों से जुड़ा है. जालसाजों ने सैकड़ों सिम कार्ड प्राप्त किए, जो कथित तौर पर शेल कंपनियों के बैंक खातों से जुड़े थे, और इन सिम कार्डों का इस्तेमाल फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाने के लिए भी किया. ईडी ने कहा, 'घोटालेबाजों ने साइबर अपराध से प्राप्त धन को हासिल करने और उसे वैध बनाने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में 24 फर्जी कंपनियां खोलीं.' ईडी ने कहा, 'जांच में पाया गया कि भारत में साइबर घोटालों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है, जिसमें फर्जी शेयर बाजार निवेश और डिजिटल अरेस्ट शामिल हैं. जिन्हें मुख्य रूप से फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया मंच के जरिए अंजाम दिया जाता है.' ईडी ने कहा कि साइबर घोटाले के तहत ऐसे गिरोह मुनाफे का लालच देकर लोगों को लुभाते हैं.
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क्या है नई एडवाइजरी में?
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने रविवार को एक सार्वजनिक परामर्श जारी कर लोगों से 'डिजिटल अरेस्ट' के बारे में सचेत रहने को कहा. संस्था ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि 'वीडियो कॉल करने वाले लोग पुलिस, सीबीआई, कस्टम अधिकारी या जज नहीं हैं' गृह मंत्रालय के अधीन एजेंसी ने लोगों से इन 'ट्रिक्स' में न फंसने और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके या www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर लॉग इन करके ऐसे अपराधों को 'तुरंत' रिपोर्ट करने को कहा है.
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