सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों के हालात पर सवाल उठाए हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला अदालतों के जज को रिटायरमेंट के बाद 19 से 20 हजार की पेंशन चलती है, इतने में वे गुजारा कैसे करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस समस्या का समाधान खोजे. साथ ही, देश के अटॉर्नी जनरल से भी कहा गया है कि वह भी इस मामले में मदद करने की कोशिश करें.
एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "न्यायालय में काम करने वाले जजों का सेवाकाल लंबा होता है. लंबी सेवा के बाद वे आखिर सर्वाइव करेंगे. यह ऐसा ऑफिस है जहां आप पूरी तरह से अक्षम हो जाते हैं और 61-62 साल की उम्र में प्रैक्टिस शुरू करके हाई कोर्ट में वकालत नहीं शुरू कर सकते."
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सरकार से की मदद की अपील
इस मामले में सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से अदालत ने अनुरोध किया है कि रिटायर होने वाले इन अधिकारियों के लिए न्यायसंगत समाधान लाने में मदद करें. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "हम इसका उचित समाधान चाहते हैं. आपको पता है कि जिला अदालतों के जज वास्तव में पीड़त हैं."
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इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह निश्चित तौर पर इस मुद्दे पर गौर करेंगे. चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि हाई कोर्ट के जजों ने वेतन न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल, जिला अदालतों से प्रमोशन के बाद इन जजों को नए GPF खाते नहीं दिए गए थे.
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