डीएनए हिंदी: कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Election Result) में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की है. कांग्रेस को 136 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं. इस जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल उठने लगा है कि कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा? जिसे सत्ता की चाबी मिलेगी. क्योंकि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया था. ऐसे में कांग्रेस में कर्नाटक में नए सीएम को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. इसके लिए कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया को प्रबल दावेदार माना जा रहे है. हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इसका फैसला आलाकमान करेगा.
बताते चलें कि कांग्रेस के लिए दोनों नेताओं में से किसी को एक को चुनना टेढ़ी खीर साबित होगा. क्योंकि दोनों नेता राज्य में दिग्गज माने जाते हैं. डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच रिश्ते भी अच्छे नहीं है. इसकी बानगी चुनाव प्रचार के दौरान भी देखी गई थी. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच टिकट बंटवारे को लेकर अनबन शुरू हुई थी. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने समझदारी दिखाते हुए मामले को सुलझा लिया था.
कांग्रेस ने दोनों नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी थी. जिसमें डीके शिवकुमार को दक्षिण जिलों की जिम्मेदारी दी गई, जहां वोक्कालिगा समुदाय का वोटबैंक है. वहीं, पूर्व सीएम सिद्धारमैया को उत्तर मध्य और तटीय क्षेत्रों में भेजा गया. इस जिम्मेदारी को दोनों नेताओं ने बाखूबी निभाया और कांग्रेस को जीत दिलाई.
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कौन कितना ताकवर?
दोनों नेताओं की ताकत की बात करें तो डीके शिवकुमार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. उनकी गिनती कर्नाटक के सबसे अमीर नेताओं में होती है. शिवकुमार को कांग्रेस का संकट मोचक भी कहा जाता है. कर्नाटक की राजनीति में ऐसे कई मौके जब मुश्किल में रही कांग्रेस को डीके शिवकुमार ने बाहर निकालने के काम किया. मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब शिवकुमार तिहाड़ जेल में बंद थे तब सोनिया गांधी उनसे मिलने गई थीं. डीके शिवकुमार का कहना है कि मैंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जो वादा किया था, वो मैंने निभा दिया.
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वहीं, सिद्धारमैया को राजनीति में एक शातिर नेता के तौर पर जाना जाता है. लंबे समय से कर्नाटक की राजनीति में वह एक अहम चेहरा हैं. कर्नाटक की राजनीति में तीन समुदायों का प्रभाव है. इनमें लिंगायत, वोक्कालिगा और कुरुबा. सिद्धारमैया कुरबा समुदाय से आते हैं. जिनका उन्हें फायदा मिलता रहा है. राज्य में कांग्रेस को पूरी तरह से खड़ा करने में सिद्धारमैया का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने पहली बार निर्दलीय चुनाव जीतकर कर्नाटक में एक गूंज पैदा कर दी थी. सिद्धरमैया कर्नाटक के सीएम रह चुके हैं. उन्होंने पांच साल सरकार चलाई है और उनका सोशल बेस है तो उनका पलड़ा भारी लग रहा है.
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